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ग्वालियर में संभाग स्तरीय समीक्षा बैठक, दुग्ध उत्पादन और मत्स्य पालन को बताया मुख्य आय का साधन

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Published On: 8 July 2025

ग्वालियर | मप्र के ग्वालियर में कृषि उत्पादन आयुक्त अशोक वर्णवाल ने कहा है कि परंपरागत खेती के बजाय किसानों को ऐसी फसलों की ओर प्रेरित किया जाए, जिनसे अधिक आय प्राप्त हो। उन्होंने कहा कि खेती को अब बाजार केंद्रित बनाना जरूरी है, ताकि किसान आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें। वे शुक्रवार को ग्वालियर में आयोजित ग्वालियर-चंबल संभाग की रबी 2024-25 की उपलब्धियों और खरीफ 2025 की तैयारियों की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे।

बैठक दो चरणों में हुई। पहले चरण में कृषि, उद्यानिकी और सहकारिता विभाग की समीक्षा की गई, जबकि दूसरे चरण में पशुपालन, डेयरी और मत्स्य उत्पादन की। वर्णवाल ने कहा कि पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन को केवल पूरक नहीं, बल्कि मुख्य आर्थिक गतिविधि के रूप में अपनाना चाहिए। इससे किसानों की आय में बड़ा इजाफा संभव है।

बाल भवन में हुई बैठक

बैठक बाल भवन के सभागार में हुई, जिसमें अपर मुख्य सचिव उद्यानिकी अनुपम राजन, अपर मुख्य सचिव पशुपालन उमाकांत उमराव, सचिव पशुपालन सत्येन्द्र सिंह, संचालक कृषि अजय गुप्ता, आयुक्त सहकारिता मनोज पुष्प, संभागीय आयुक्त मनोज खत्री और ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान समेत सभी जिलों के कलेक्टर, सीईओ और संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद थे।

दिए गए ये निर्देश

कलेक्टरों से कहा गया कि वे किसानों को पारंपरिक फसलों के बजाय उन फसलों की ओर प्रेरित करें, जिनकी बाजार में मांग और मूल्य बेहतर हैं। किसानों को आधुनिक तकनीक और कृषि यंत्रों के उपयोग के लाभ भी बताए जाएं। साथ ही केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से अधिकतम किसानों तक पहुँचाई जाए।

किसानों का कराया जाए पंजीयन

अपर मुख्य सचिव अनुपम राजन ने कहा कि उद्यानिकी क्षेत्र के विकास की अपार संभावनाएं हैं। किसानों को ऐसी फसलें लेने के लिए प्रेरित किया जाए, जिनके अच्छे बाजार मूल्य मिल रहे हैं। किसानों का शत-प्रतिशत पंजीयन कराया जाए और सेंटर फॉर एक्सीलेंस के प्रस्ताव शासन को भेजे जाएं।

संचालक कृषि अजय गुप्ता ने उर्वरकों की उपलब्धता और डीएपी के विकल्पों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि खाद-बीज वितरण केंद्रों पर किसानों के लिए बैठने, छाया, पानी और रोशनी की बेहतर व्यवस्था की जाए। सहकारिता आयुक्त मनोज पुष्प ने कहा कि सहकारी योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए जिलों में निरंतर मॉनिटरिंग की जाए।

दुग्ध और मत्स्य उत्पादन को दोगुना करने का लक्ष्य

कृषि आयुक्त ने दुग्ध संग्रहण और मत्स्य उत्पादन को दोगुना करने के निर्देश दिए। फिलहाल प्रदेश में 10 लाख लीटर प्रतिदिन दूध संग्रह हो रहा है, जिसे 20 लाख लीटर तक ले जाने का लक्ष्य तय किया गया है। उन्होंने पशु नस्ल सुधार, संग्रहण व्यवस्था सुदृढ़ करने और केज कल्चर जैसी विधियों के माध्यम से मत्स्य उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया। मछुआ समृद्धि योजना के तहत स्मार्ट फिश पार्लर खोले जाएं और साँची पार्लरों पर दूध की अनिवार्य बिक्री सुनिश्चित की जाए।

पशुपालक बनें कलेक्शन एजेंट

अपर मुख्य सचिव पशुपालन उमाकांत उमराव ने सुझाव दिया कि दुग्ध संग्रहण बढ़ाने के लिए पशुपालकों को कलेक्शन एजेंट बनाया जाए और उन्हें कमीशन दिया जाए। अगले 5 वर्षों तक हर साल 1000 कलेक्शन एजेंट तैयार किए जाएं। उन्होंने कहा कि दूध की आर्थिक कीमत गेहूं और धान से अधिक है, ऐसे में दुग्ध उत्पादन किसानों की आमदनी बढ़ाने का कारगर साधन बन सकता है।

सचिव पशुपालन सत्येन्द्र सिंह ने डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना और आचार्य विद्यासागर गौ संवर्धन योजना के तहत लक्ष्य पूर्ति और गौवंश प्रबंधन के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने की बात कही।

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