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मोहन सरकार आज बाजार से लेगी 4800 करोड़ का कर्ज, मौजूदा वित्त वर्ष में अब तक 14,300 करोड़ का कर्ज ले चुकी

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Published On: 8 July 2025

भोपाल | मध्यप्रदेश सरकार मंगलवार को बाजार से 4800 करोड़ रुपये का नया कर्ज लेने जा रही है। यह कर्ज दो अलग-अलग गवर्नमेंट सिक्योरिटीज के जरिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के माध्यम से उठाया जाएगा। दोनों कर्ज की अवधि क्रमश: 16 और 18 साल की होगी, जिनका भुगतान सरकार साल में दो बार कूपन रेट के जरिए ब्याज के रूप में करेगी।

सरकार इस वित्त वर्ष में पहले ही 9500 करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है। आज के कर्ज के साथ यह आंकड़ा बढ़कर 14,300 करोड़ रुपये पहुंच जाएगा। नई ऋण प्रक्रिया इस वित्तीय वर्ष की तीसरी बार की जा रही है।

पहले भी लिए जा चुके हैं कर्ज

7 मई को सरकार ने 2500-2500 करोड़ रुपये के दो कर्ज लिए थे। ये कर्ज 12 और 14 साल की अवधि के लिए थे, जिन्हें 2037 और 2039 तक ब्याज सहित लौटाया जाएगा। इसी तरह 4 जून को भी दो और कर्ज लिए गए थे, जिनमें 2000 करोड़ का कर्ज 16 साल के लिए और 2500 करोड़ रुपये का कर्ज 18 साल के लिए था। सरकार इन दोनों की अदायगी क्रमश: 2041 और 2043 तक करेगी।

अब तक कुल कर्ज 4.36 लाख करोड़ के पार

राज्य सरकार पर कुल कर्ज का आंकड़ा बढ़कर 4,36,040.27 करोड़ रुपये हो गया है। इसमें बाजार से लिया गया 2,67,879.41 करोड़ का कर्ज, केंद्र सरकार से लिए गए 74,759.16 करोड़, वित्तीय संस्थाओं से 17,190.83 करोड़, पावर बांड्स समेत अन्य बॉन्ड्स 5,152.44 करोड़ और केंद्र सरकार की स्मॉल सेविंग्स फंड की स्पेशल सिक्योरिटीज के अंतर्गत 42,623.35 करोड़ रुपये शामिल हैं। अन्य देनदारियां 14,135.07 करोड़ रुपये की बताई गई हैं।

सरकार ने बताया खुद को रेवेन्यू सरप्लस

राज्य सरकार का दावा है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में उसका रेवेन्यू सरप्लस 12,487.78 करोड़ रुपये रहा। उस वर्ष सरकार की आमदनी 2,34,026.05 करोड़ रुपये और खर्च 2,21,538.27 करोड़ रुपये था। वहीं 2024-25 के लिए संशोधित अनुमान के अनुसार सरकार की आमदनी 2,62,009.01 करोड़ और खर्च 2,60,983.10 करोड़ रुपये बताया गया है, जिससे 1,025.91 करोड़ रुपये का सरप्लस दर्शाया गया है।

विशेषज्ञ जता रहे चिंता

हालांकि, सरकार अपने राजस्व संतुलन को लेकर आश्वस्त दिख रही है, लेकिन बढ़ते कर्ज के आंकड़े को लेकर आर्थिक विशेषज्ञों और विपक्षी दलों ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि लंबी अवधि के इन लोन की अदायगी ब्याज सहित आने वाली सरकारों पर बोझ बढ़ा सकती है।

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