भोपाल | मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में MP सरकार पर्यावरण और जल संरक्षण को लेकर बड़ी पहल करने जा रही है। प्रदेश के 16 जिलों में नर्मदा परिक्रमा पथ पर स्थित 233 आश्रय स्थलों की करीब 1000 एकड़ भूमि पर पौधरोपण किया जाएगा। इस कार्य के लिए 43 करोड़ रुपये से अधिक की राशि स्वीकृत की गई है और कुल 7.50 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है।
यह अभियान केंद्र सरकार के “एक पेड़ मां के नाम 2.0” मिशन का हिस्सा है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से शुरू किया है। मध्यप्रदेश में इसे मिशन मोड में चलाया जा रहा है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और मनरेगा परिषद इस पौधरोपण कार्य को क्रियान्वित कर रहे हैं। 15 जुलाई से शुरू होकर यह अभियान 15 अगस्त तक चलेगा।
कहां-कहां होगा पौधरोपण?
जिन 16 जिलों में यह अभियान संचालित होगा उनमें अनूपपुर, डिंडोरी, मंडला, जबलपुर, नरसिंहपुर, सिवनी, बड़वानी, अलीराजपुर, धार, नर्मदापुरम, रायसेन, सीहोर, हरदा, देवास, खंडवा और खरगोन शामिल हैं। इन जिलों के नर्मदा परिक्रमा पथ पर स्थित आश्रय स्थलों की पहचान की जा चुकी है, जहां भूमि की उपलब्धता के अनुसार दो श्रेणियों में पौधरोपण किया जाएगा।
136 ऐसे स्थल हैं जहां 2 एकड़ से अधिक भूमि उपलब्ध है, वहां सामान्य पद्धति से 2.15 लाख पौधे लगाए जाएंगे। 97 ऐसे स्थल हैं जहां 1 से 2 एकड़ के बीच भूमि है, वहां मियावाकी तकनीक से 5.5 लाख पौधों का रोपण किया जाएगा। पौधों की सुरक्षा के लिए तार फेंसिंग की व्यवस्था भी की जाएगी।
हरियाली की चादर ओढ़ेंगे
मां नर्मदा परिक्रमा पथ के आश्रय स्थल🌱प्रकृति, पर्यावरण और जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रदेश के 16 जिलों में मां नर्मदा परिक्रमा पथ के आश्रय स्थलों पर होगा पौधरोपण
🌱प्रदेश के 233 स्थानों की 1000 एकड़ भूमि पर किया जाएगा पौधरोपण @DrMohanYadav51… pic.twitter.com/GXD7Hk5fQF
— Jansampark MP (@JansamparkMP) July 9, 2025
तकनीक के साथ निगरानी
इस अभियान की पारदर्शिता और प्रभावशीलता बनाए रखने के लिए ड्रोन और सैटेलाइट इमेजिंग का सहारा लिया जाएगा। मनरेगा परिषद पूरी निगरानी प्रक्रिया को तकनीकी रूप से अंजाम देगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पौधरोपण सही स्थानों पर हुआ है और पौधे सुरक्षित हैं। इसके अलावा, “सिपरी” नामक सॉफ्टवेयर की मदद से यह तय किया जाएगा कि जिन स्थानों पर पौधरोपण प्रस्तावित है, वहां जल स्रोत उपलब्ध हैं या नहीं। अगर सॉफ्टवेयर उस स्थल को अनुपयुक्त मानता है, तो वहां पौधे नहीं लगाए जाएंगे।
अंतिम चरण में तैयारी
14 जुलाई तक गड्ढे खुदाई, फेंसिंग, स्थल निरीक्षण, भौतिक सत्यापन और प्रशासनिक स्वीकृति जैसे कार्य पूरे कर लिए जाएंगे। 15 जुलाई से पौधे रोपने की प्रक्रिया शुरू होगी। बता दें कि इसका मुख्य लक्ष्य नर्मदा परिक्रमा पथ को हरियाली की चादर ओढ़ाई जाए, ताकि धार्मिक आस्था और प्रकृति संरक्षण दोनों को एक साथ सम्मान दिया जा सके।
