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भोपाल में बनेगा देश का सबसे आधुनिक एक्वा पार्क, सीएम डॉ. यादव 12 जुलाई को करेंगे भूमि-पूजन

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Published On: 11 July 2025

भोपाल | राजधानी भोपाल में स्थित भदभदा मछलीघर अब पूरी तरह नए स्वरूप में सामने आने जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शनिवार 12 जुलाई को यहां अत्याधुनिक एक्वा पार्क का भूमि-पूजन करेंगे। यह पार्क न केवल भोपाल की पहचान को नई ऊंचाई देगा, बल्कि पर्यावरण शिक्षा, पर्यटन और शोध के क्षेत्र में एक नये अध्याय की शुरुआत करेगा।

राजधानीवासियों के लिए मछलीघर एक भावनात्मक स्मृति रहा है- पिकनिक, स्कूल टूर और परिवार संग बिताए गए पल। अब यही जगह बदलकर भविष्य की तकनीक और अनुभवों से सजा देश के सबसे सुंदर और आधुनिक एक्वा पार्क में तब्दील होने जा रही है।

40 करोड़ की लागत से बनेगा एक्वा पार्क

इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार ने 25 करोड़ रुपये और राज्य सरकार ने 15 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है। यानी कुल 40 करोड़ रुपये की लागत से एक ऐसा पार्क बनेगा, जो पर्यटकों, विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और मछली पालन में रुचि रखने वालों के लिए एक बहुउपयोगी स्थल साबित होगा।

मछली पालकों के लिए प्रशिक्षण

एक्वा पार्क में समुद्री और मीठे पानी की सैकड़ों प्रजातियों को एक ही छत के नीचे देखा जा सकेगा। यहां डिजिटल एक्वेरियम, वॉटर टनल, 3D इंटरेक्टिव जोन, सी-लाइफ लर्निंग सेंटर, रिसर्च सेंटर, मत्स्य सेवा केंद्र, आंत्रप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट यूनिट, इनक्यूबेशन सेंटर, कैफेटेरिया और गिफ्ट गैलरी जैसी आधुनिक सुविधाएं होंगी।

यह पार्क केवल एक देखने की चीज नहीं होगा, बल्कि यह पर्यावरण के प्रति नई पीढ़ी की समझ और संवेदनशीलता को भी मजबूत करेगा। बच्चों के लिए यह एक रोमांचक ज्ञान केंद्र और मछली पालन करने वालों के लिए एक व्यावहारिक प्रशिक्षण संस्थान बनेगा।

यादें भी होंगी, नवाचार भी

एक्वा पार्क का निर्माण वहीं किया जा रहा है, जहां कभी भोपाल का प्रसिद्ध मछलीघर हुआ करता था। जिन लोगों ने अपने बचपन में गुब्बारे लेकर मछलियों को देखा, वे अब अपने बच्चों को उसी स्थान पर आधुनिक तकनीक से सजे एक नये जलजीवन संसार की सैर कराएंगे।

जुड़ाव का प्रतीक

यह पार्क न केवल भोपाल के लिए एक नया पर्यटन केंद्र बनेगा, बल्कि यह इतिहास और भविष्य के बीच एक जुड़ाव का प्रतीक होगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के मुताबिक, यह परियोजना जल-प्राकृतिक जीवन और विज्ञान के प्रति बच्चों में रुचि पैदा करने का सशक्त माध्यम बनेगी। भूमि-पूजन कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों, पर्यावरणविदों, मत्स्य विभाग के विशेषज्ञों और स्कूली बच्चों के शामिल होने की संभावना है। भूमि-पूजन के बाद निर्माण कार्य तेज़ी से शुरू किया जाएगा और अगले एक वर्ष में इसका लोकार्पण प्रस्तावित है।

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