ग्वालियर | अनुसूचित जाति और जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में पीड़ितों को समय पर राहत राशि मिले, इसके लिए प्रशासन ने कमर कस ली है। शनिवार को कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित जिला स्तरीय सतर्कता एवं मॉनीटरिंग समिति की बैठक में कलेक्टर रुचिका चौहान ने कहा कि पीड़ितों को राहत देने में देरी नहीं होनी चाहिए और अगर बजट की कमी हो, तो बार-बार मांग पत्र भेजकर फंड की व्यवस्था कराई जाए।
बैठक में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह ने जानकारी दी कि जिले में ऐसे प्रकरणों में 25% की कमी आई है। वर्ष 2023 की तुलना में पिछले एक साल में अत्याचार से जुड़े मामलों में गिरावट दर्ज की गई है। साथ ही, पीड़ितों को लगभग 6 करोड़ रुपए की राहत राशि प्रदान की गई है।
प्रमाण-पत्र कराए जाएं तैयार
कलेक्टर ने कहा कि जिन मामलों में जाति प्रमाण-पत्र की आवश्यकता है, उनमें तत्काल प्रमाण-पत्र तैयार कराए जाएं। उन्होंने डीएसपी अजाक से सभी लंबित मामलों की सूची संबंधित एसडीएम को भेजने के निर्देश दिए। साथ ही, जाति प्रमाण-पत्र बनाने की प्रक्रिया की नियमित समीक्षा करने पर भी बल दिया। बैठक में डबरा विधायक सुरेश राजे, जिला पंचायत सीईओ विवेक कुमार, सहायक आयुक्त जनजाति कल्याण राजेन्द्र शर्मा और समिति के अन्य अधिकारी व सदस्य भी मौजूद रहे।
पीड़ित व्यक्तियों को राहत देने व चालान पेश करने में देरी न हो – कलेक्टर श्रीमती चौहान
जिला स्तरीय सतर्कता एवं मॉनीटरिंग समिति की बैठक आयोजित
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री सिंह ने दी जानकारी उत्पीड़न के प्रकरणों में लगातार गिरावट#gwalior @JansamparkMP
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— Collector Gwalior (@dmgwalior) July 12, 2025
CCTV कैमरे लगाने के निर्देश
कलेक्टर ने जनजाति कल्याण कार्यालय में CCTV कैमरे लगाने के निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि कार्यालय परिसर में कोई भी संदिग्ध या अवांछित व्यक्ति नजर नहीं आना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति लाभार्थियों से पैसे लेकर काम करवाने की कोशिश करता है, तो उस पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। बैठक में यह भी तय किया गया कि चालान पेश करने की प्रक्रिया को और तेज किया जाए, ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके और दोषियों को समय पर सजा मिल सके।
