इंदौर | MP के इंदौर के पॉश इलाकों में भी अब आवारा कुत्तों का आतंक खुलकर सामने आने लगा है। शनिवार सुबह श्रीनगर एक्सटेंशन में कॉलेज जा रही एक छात्रा पर चार आवारा कुत्तों ने झुंड में हमला कर दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। पूरी घटना का सीसीटीवी फुटेज सामने आया है, जिसमें छात्रा को कुत्तों से संघर्ष करते और गिरते हुए देखा जा सकता है।
छात्रा को बचाने आई उसकी सहेली ने जब तक मदद की, तब तक कुत्तों ने उसके पैर में गहरे घाव कर दिए थे। स्थानीय लोगों की मदद से उसे तत्काल घर लाया गया और प्राथमिक उपचार के बाद इलाज के लिए भेजा गया।
सेकंडों में दोबारा लौटे हमलावर कुत्ते
यह घटना शनिवार सुबह करीब 6:30 बजे की बताई जा रही है। छात्रा जब कॉलोनी से बाहर निकली तो दूर से चार कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया। छात्रा ने हिम्मत दिखाते हुए संघर्ष किया और एक बार कुत्तों को भगा दिया, लेकिन महज कुछ सेकंड बाद कुत्तों का झुंड दोबारा लौट आया और उसे गिराकर उसके पैर को नोच डाला।
स्कूटी पर आई सहेली बनी फरिश्ता
घटना के समय छात्रा की एक सहेली, जो स्कूटी पर आगे जा रही थी, शोर सुनकर रुकी और कुत्तों को भगाने दौड़ी। उसने गाड़ी खड़ी कर छात्रा को संभाला। घायल छात्रा डर से कांप रही थी और चक्कर आने के कारण वहीं बैठ गई। कॉलोनी निवासी विशाल और शैफाली अग्रवाल उसे अपने घर ले गए और प्राथमिक उपचार किया।
कॉलोनी में नॉनवेज जूठन से बढ़ी कुत्तों की संख्या
स्थानीय रहवासी आनंद बागोरा और अन्य लोगों का कहना है कि श्रीनगर एक्सटेंशन कॉलोनी में पिछले कुछ समय से कुत्तों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। इसके पीछे सोनिया गांधी नगर के रहवासियों द्वारा रात में खुले में फेंकी जाने वाली नॉनवेज जूठन को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। नगर निगम की गाड़ी रोज कचरा तो उठा लेती है, लेकिन रात में फिर से वहीं गंदगी फैल जाती है, जिससे कुत्ते आकर्षित होते हैं और आक्रामक होते जा रहे हैं।
निगम के 311 एप पर दर्ज हो चुकी हैं कई शिकायतें
रहवासियों ने बताया कि इस समस्या को लेकर नगर निगम के 311 मोबाइल एप पर कई बार शिकायतें दर्ज की गई हैं। हर बार कचरा तो उठा लिया जाता है, लेकिन जूठन और खाद्य अपशिष्ट के खुले में फेंके जाने की समस्या बनी रहती है, जिससे कुत्तों का जमावड़ा बढ़ता जा रहा है। हुकुमचंद अस्पताल के अनुसार, इस साल 1 जनवरी से 13 जुलाई 2025 के बीच करीब 24 हजार लोगों को कुत्तों ने काटा है। हालांकि सभी को समय रहते एंटी रैबीज इंजेक्शन देकर बचा लिया गया, लेकिन आंकड़ा चौंकाने वाला और डरावना है।
सवालों के घेरे में नगर निगम की कार्रवाई
रहवासियों का कहना है कि नगर निगम की कार्रवाई कागजों में सीमित रह गई है। न तो आवारा कुत्तों की नसबंदी अभियान की रफ्तार तेज हुई है, और न ही उन स्थानों की निगरानी की जा रही है, जहां नियमित रूप से खाद्य अपशिष्ट फेंका जाता है।
