ज्योतिष | सावन का चौथा और अंतिम सोमवार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर पड़ रहा है। इस वर्ष सावन में कुल 4 सोमवार व्रत हैं, जिनमें से 3 सोमवार व्रत पूर्ण हो चुके हैं और अंतिम सोमवार व्रत 4 अगस्त को पड़ रहा है। यह अंतिम सोमवार विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन 4 शुभ योग बन रहे हैं। जो लोग अब तक सावन सोमवार के व्रत और पूजा का लाभ नहीं ले पाए हैं, वे इस अवसर पर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। इस दिन भगवान शिव को जल अर्पित करना, रुद्राभिषेक कराना और विशेष पूजा करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
सावन का अंतिम सोमवार, विशेषकर शिवभक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा, रुद्राभिषेक, जलाभिषेक, दान-दक्षिणा और भजन-कीर्तन करने का महत्व है। मान्यता है कि सावन के अंतिम सोमवार पर पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
सावन का अंतिम सोमवार
इस बार सावन का अंतिम सोमवार 4 अगस्त को पड़ रहा है। इस दिन सावन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि प्रातः 11:41 बजे तक रहेगी, जिसके बाद एकादशी तिथि प्रारंभ हो जाएगी। सावन के अंतिम सोमवार पर शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है, क्योंकि यह दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने और विशेष पूजा-अर्चना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके बाद, भक्तों को भगवान शिव के प्रिय माह सावन का इंतजार पूरे सालभर करना होगा।
4 शुभ योग
सावन के अंतिम सोमवार के दिन चार विशेष शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। इस दिन ब्रह्म योग, इंद्र योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बनेंगे। 4 अगस्त 2025 को सावन का अंतिम सोमवार है और इस दिन सुबह 05:44 बजे से 09:12 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। रवि योग पूरे दिन बना रहेगा।
ब्रह्म योग प्रात:काल से लेकर सुबह 07:05 बजे तक रहेगा, जिसके बाद इंद्र योग बन जाएगा और वह पूरे दिन प्रभावी रहेगा। इस दिन अनुराधा नक्षत्र सुबह 09:12 बजे तक रहेगा, जिसके बाद ज्येष्ठा नक्षत्र प्रारंभ होगा।
पूजा का मुहूर्त
सावन के अंतिम सोमवार पर शुभ कार्यों के लिए खास मुहूर्त बनाए गए हैं। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:20 से 05:02 तक रहेगा, जिसे स्नान, दान, पूजा और पाठ के लिए श्रेष्ठ समय माना जाता है। यदि यह समय न मिले तो सूर्योदय के समय भी ये धार्मिक कार्य किए जा सकते हैं। 4 अगस्त 2025 को सूर्योदय सुबह 05:44 पर और चंद्रोदय दोपहर 03:22 पर होगा। इसके अलावा, इस दिन का अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:00 पीएम से 12:54 पीएम तक रहेगा, जिसे दिन का सबसे शुभ समय माना जाता है।
रुद्राभिषेक का शुभ मुहूर्त
सावन के अंतिम सोमवार को रुद्राभिषेक करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान शिव का वास सभा में सुबह से लेकर 11:41 बजे पूर्वाह्न तक रहेगा, जिसके बाद उनका वास क्रीड़ा में होगा। इस विशेष अवसर पर रुद्राभिषेक कराने से सुख, समृद्धि, धन, ऐश्वर्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है, साथ ही अकाल मृत्यु से मुक्ति भी मिलती है। इसलिए भक्तों के लिए यह दिन विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना और अभिषेक के लिए उत्तम है।
रुद्राभिषेक भगवान शिव की एक विशेष पूजा विधि है, जिसमें मुख्य रूप से रुद्र मंत्रों (विशेष रूप से श्री रुद्रम या नमकं-चमकं मंत्र) का उच्चारण करते हुए शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, घी, दही, शक्कर, गंगाजल आदि का अभिषेक किया जाता है।
डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. MPNews इनकी पुष्टि नहीं करता है.
