उज्जैन | श्रावण-भादौ मास के पावन अवसर पर महाकालेश्वर महालोक की सांझें भक्ति और कला के रंग में रंगी नजर आ रही हैं। मंगलवार को सांस्कृतिक संध्या के अंतर्गत शिव भजनों और कथक नृत्य की अनुपम प्रस्तुतियों ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई, जहां श्री महाकाल के चित्र के समक्ष मंदिर समिति के पूर्व सदस्य विभाष उपाध्याय और श्री महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान के सचिव वीरू पाक्ष जड्डीपाल ने दीप जलाकर शुभारंभ किया। इस दौरान उप प्रशासक एसएन सोनी और सिम्मी यादव ने अतिथियों का स्वागत किया। संचालन की बागडोर सुदर्शन अयाचित के हाथों में रही।
भजनों में झलका शिवत्व
सांस्कृतिक संध्या की पहली प्रस्तुति उज्जैन की सुप्रसिद्ध गायिका प्रीति देवले ने दी। उन्होंने अपने मधुर स्वरों में “सतसृष्टि तांडव रचयिता नटराज”, “शिव कैलाश के वासी”, “सदाशिव महाकाल ज्योर्तिमय” और “पी ले रे हरि नाम दीवानी” जैसे भजनों से वातावरण को भक्तिमय कर दिया। उनके साथ हारमोनियम पर महेंद्र बुआ, तबले पर देवब्रत गुप्ता और साइड रिदम पर सक्षम देवले ने संगत की। वहीं, कोरस में विभाष देवले, मनोज श्रीवास्तव, उल्हास मांजरेकर, राजेश सोहने, प्रेरणा सोहने और सुनीता जैन ने सुर मिलाए।
कथक के माध्यम से शिव आराधना
दूसरी प्रस्तुति में समृद्धि चित्तौड़ा ने अपनी नृत्य प्रतिभा से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने शिव पंचाक्षर स्तोत्र, नाचे गिरधारी, सावरा गिरधर और मृदंगतरना की प्रस्तुति दी। उनके साथ ख्याति पाल, सिया मोरे, अनन्या खेडकर और इशानी पांचाल सहयोगी नृत्यांगनाएं रहीं।
समूह नृत्य में शिव की प्रलयंकारी छवि
कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति में इंदौर की कविता तिवारी के निर्देशन में समूह कथक नृत्य प्रस्तुत हुआ। इसमें शिव स्तुति और ध्रुपद आधारित “शंकर प्रलयंकर मदन दहन कर” का अद्भुत नृत्य चित्रण किया गया। प्रस्तुति में नंदनी सिकरवार, त्रिशा साध, पाखी बारापात्रे, वैष्णवी शिम्पी, माही पुनस्य और ऐश्वर्या बुंदेला ने भाग लिया।
