नई दिल्ली | श्री कृष्ण जन्माष्टमी का हिंदू धर्म में कितना महत्व है यह तो हम सभी जानते हैं। कान्हा के जन्मदिन के उपलक्ष में इस त्यौहार को देशभर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। मध्य रात्रि 12:00 बजे कृष्ण का जन्म होता है और ढोल नगाड़े के साथ उनका स्वागत किया जाता है। जब भी कृष्ण जी के मंदिर की बात निकलती है तो लोगों को मथुरा वृंदावन की याद आ जाती है।
मथुरा वृंदावन ऐसी जगह है जिनका कृष्ण जी से बहुत गहरा संबंध रहा है। यहां पर उनके अलग-अलग रूपों के कई सारे मंदिर मौजूद है। अगर जन्माष्टमी पर आप कृष्ण मंदिरों में दर्शन करने के लिए जाना चाहते हैं। तो आज हम आपको कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में बताते हैं, जहां दर्शन किए बिना जन्माष्टमी अधूरी है। चलिए इन मंदिरों के बारे में जान लेते हैं।
गोकुल
मथुरा से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर गोकुल मौजूद है। ऐसा कहा जाता है कि श्री कृष्ण के जन्म के बाद नंद बाबा यमुना नदी को पार कर उन्हें गोकुल छोड़ आए थे। गोकुल में जन्माष्टमी का त्योहार गोकुलाष्टमी के नाम से पहचाना जाता है। आपके यहां राधा रमन मंदिर और राधा दामोदर मंदिर में दर्शन जरूर करने चाहिए।
वृंदावन
मथुरा से 14 से 15 किलोमीटर दूर वृंदावन बसा हुआ है। मथुरा में उनका जन्म हुआ था और वह वृंदावन में पले बढ़े थे। विष्णु पुराण में दिए गए उल्लेख के मुताबिक श्री कृष्णा यहीं पर बड़े हुए, रासलीला की, राधा से प्रेम किया। यहां का गोविंद देव मंदिर सबसे पौराणिक मंदिरों में से एक है। आप राधा रमन मंदिर, निधि वन, रंगनाथ मंदिर और इस्कॉन मंदिर भी जा सकते हैं।
भक्ति मंदिर
प्रयागराज से 60 किलोमीटर दूर मानगढ़ में भक्ति मंदिर मौजूद है। जन्माष्टमी की मौके पर यहां झांकियां सजाई जाती है और पूरे मंदिर को सजाया जाता है। इस खास मौके पर दूर-दूर से भक्त यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं। आपको बिल्कुल मथुरा वृंदावन जैसा माहौल यहां पर नजर आएगा। यही पर सुप्रसिद्ध प्रेम मंदिर मौजूद है।
चंद्रहरि मंदिर
अयोध्या के इस मंदिर को चंद्रहरि आश्रम के नाम से भी पहचाना जाता है। जन्माष्टमी का पर्व यहां बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। मंदिर रंग बिरंगी रोशनी और फूलों से सजाया जाता है। हर भक्त यहां भजन कीर्तन में डूबा हुआ दिखाई देता है।
