जबलपुर | मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में एक ऐसा फर्जीवाड़ा सामने आया है, जिसने सैकड़ों किसानों की कमर तोड़ दी है। यहां कृषि माफियाओं ने 55 से ज्यादा किसानों की जमीन से जुड़े दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल कर समर्थन मूल्य पर मूंग बेच दी और साथ ही सरकारी गोदामों से यूरिया खाद भी उठा लिया। किसान जब खुद खाद लेने पहुंचे, तो उन्हें पता चला कि उनके नाम से खाद पहले ही वितरित हो चुकी है। यही नहीं, जिन किसानों ने मूंग बोई भी नहीं थी, उनके नाम पर उपज बेची गई और भुगतान उठाया गया।
एक हफ्ते पहले खुला खेल
ग्राम पथरिया के कुछ किसान जब सरकारी वेयरहाउस में खाद लेने पहुंचे, तो उन्हें कर्मचारियों ने साफ कह दिया कि उनके नाम का कोटा पहले ही निकाला जा चुका है। शक होने पर जब किसानों ने तहकीकात शुरू की, तो सामने आया कि उनके सिकमीनामे (जमीन किरायानामा) का इस्तेमाल कर न सिर्फ यूरिया उठाई गई, बल्कि उनकी मूंग भी समर्थन मूल्य पर बेच दी गई। यह खेल पिछले कई महीनों से चल रहा था।
SDOP और थाने में शिकायत
पीड़ित किसानों ने सबसे पहले बेलखेड़ा थाने और पाटन एसडीओपी से शिकायत की, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। मजबूर होकर मंगलवार को किसान जबलपुर एसपी के पास पहुंचे और 100 रुपए के स्टाम्प पेपर पर शपथपत्र देकर पूरे मामले की लिखित शिकायत की। किसानों ने आरोप लगाया कि यह गिरोह केवल जबलपुर ही नहीं बल्कि पूरे मध्यप्रदेश में सक्रिय है और अब तक करोड़ों की ठगी कर चुका है।
किसानों की दहशत और बेबसी
पीड़ित किसान सौरभ जैन ने बताया कि उन्होंने पांच एकड़ जमीन का रजिस्टर्ड सिकमीनामा लिया था और उसमें मूंग बोई थी। जब वे समर्थन मूल्य पर उपज बेचने गए तो अधिकारियों ने बताया कि उनके नाम से मूंग पहले ही बेची जा चुकी है और खाद भी उठाई जा चुकी है। उनका कहना है कि यह फर्जीवाड़ा कम से कम 55 किसानों के साथ हुआ है। किसान महेंद्र अवस्थी ने कहा कि करीब 500 एकड़ जमीन पर फर्जी सिकमीनामा चढ़ाकर उन्हें पूरे साल की फसल बेचने और सरकारी खाद लेने से वंचित कर दिया गया है।
क्या है सिकमीनामा?
सिकमीनामा दरअसल किरायानामा होता है, जिसे तहसीलदार की मौजूदगी में जमीन मालिक और किराए पर खेती करने वाले किसान के बीच दर्ज किया जाता है। इसी दस्तावेज के आधार पर किसान फसल बेच सकता है और सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकता है। यही कागज कृषि माफियाओं के लिए ठगी का जरिया बन गया।
पुलिस को सौंपा नाम
किसानों ने एसपी को एक लिस्ट भी सौंपी है, जिसमें उन बिचौलियों के नाम और मोबाइल नंबर दर्ज हैं, जो इस पूरे फर्जीवाड़े में शामिल बताए जा रहे हैं। अब किसानों की उम्मीद है कि प्रशासन और पुलिस जल्द कार्रवाई कर इस गैंग का पर्दाफाश करेगी।