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कैंसर और गंभीर बीमारियों की दवाओं पर GST पूरी तरह से हुआ खत्म, अब इलाज होगा सस्ता; मरीजों को मिलेगी राहत

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Published On: 6 September 2025

केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य और चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ा फैसला लिया है, जिसके तहत कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों की जीवनरक्षक दवाओं पर जीएसटी पूरी तरह खत्म कर दी गई है। इससे पहले इन दवाओं पर 5% से 12% तक टैक्स लगता था, लेकिन अब उनकी कीमत में सीधे कमी आएगी, जो मरीजों और उनके परिवारों के लिए बड़ी राहत होगी। साथ ही, कई महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरणों पर भी जीएसटी की दर 12% से घटाकर 5% कर दी गई है, जिससे अस्पताल और सर्जरी से जुड़े खर्चों में भी कमी आएगी। यह फैसला उन लाखों मरीजों और उनके परिवारों के लिए बड़ी राहत साबित होगा, जिन्हें इन गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए महंगी दवाओं की आवश्यकता होती है।

केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों की जीवनरक्षक दवाओं पर जीएसटी (GST) पूरी तरह समाप्त कर दी है। इससे पहले इन दवाओं पर 5% से लेकर 12% तक का टैक्स लगता था, लेकिन अब मरीजों को इन दवाओं की खरीद में सीधे राहत मिलेगी।

कैंसर दवाओं पर GST खत्म

केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों की जीवनरक्षक दवाओं पर जीएसटी पूरी तरह हटा दी है। इस फैसले में 30 से अधिक दवाएं शामिल हैं, जैसे एस्किमिनिब, डाराटुमुमाब और मेपोलिज़ुमाब, जो मरीजों के लिए बेहद जरूरी हैं। साथ ही, थर्मामीटर, ब्लड प्रेशर मॉनिटर, ग्लूकोमीटर, डायग्नोस्टिक किट और बैंडेज जैसे रोजमर्रा के मेडिकल उपकरणों पर जीएसटी 12-18% से घटाकर 5% कर दिया गया है। मैक्स अस्पताल के ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. रोहित कपूर के अनुसार, इस फैसले से मरीजों को सीधे तौर पर आर्थिक राहत और उपचार में आसानी होगी।

इलाज में लाखों की बचत

केंद्र सरकार ने कैंसर और गंभीर बीमारियों के मरीजों के लिए एक राहत भरा कदम उठाया है। अब सर्जरी कराने वाले मरीजों को महंगी दवाओं पर जीएसटी पूरी तरह से शून्य मिलेगा, जिससे इलाज की लागत में सीधे लाखों रुपये की बचत हो सकती है। इसके अलावा, सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले बैंड-एड, सर्जिकल गज और अन्य डिस्पोजेबल किट्स पर टैक्स 5% तक कम कर दिया गया है।

डॉ. कपूर के अनुसार, कीमोथेरेपी और टार्गेटेड थेरेपी में प्रयुक्त दवाओं पर पहले 12% तक जीएसटी लगता था, जो अब पूरी तरह से खत्म हो गया है। इससे मरीजों का आर्थिक बोझ कम होगा और वे उपचार बीच में नहीं छोड़ेंगे।

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