MP के सतना में किसानों की समस्याओं को लेकर कांग्रेस नेत्री डॉ. रश्मि सिंह के ऐलान ने प्रशासन और भाजपा खेमे में खलबली मचा दी है। डॉ. सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर साफ कहा था कि उचेहरा क्षेत्र में खाद की किल्लत, कालाबाजारी और बर्बाद होती फसलों को लेकर किसान अब चुप नहीं बैठेंगे। इसी सिलसिले में किसानों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ जोरदार विरोध प्रदर्शन की घोषणा की गई थी। कांग्रेस नेत्री ने यहां तक कह दिया था कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को काले झंडे दिखाए जाएंगे।
इस बयान के बाद पूरे प्रशासनिक तंत्र में हलचल मच गई। सूत्रों के मुताबिक, संभावित विरोध और किसानों के गुस्से को देखते हुए मंत्री का उचेहरा और कुंदहरीकला दौरा रद्द कर दिया गया।
“काला झंडा सिर्फ प्रतीक नहीं”
डॉ. रश्मि सिंह ने कहा था कि यह काला झंडा किसी राजनीतिक दिखावे का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह किसानों के दर्द और आक्रोश की आवाज़ है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि जब तक अन्नदाता को सही समय पर खाद नहीं मिलेगी और कालाबाजारी पर रोक नहीं लगेगी, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा।
किसानों का गुस्सा बढ़ा
स्थानीय किसानों का कहना है कि फसलें खाद की कमी और महंगाई के कारण बर्बाद हो रही हैं। ऊपर से खुलेआम कालाबाजारी की वजह से उन्हें दोगुनी कीमत पर खाद खरीदनी पड़ रही है। किसानों का आरोप है कि सरकार और प्रशासन पूरी तरह आंख मूंदे हुए हैं, जबकि आम किसान कर्ज और संकट से जूझ रहा है।
डॉ. सिंह ने ऐलान किया था कि विरोध प्रदर्शन में भारी संख्या में किसान और कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल होंगे। प्रशासन को आशंका थी कि विरोध उग्र रूप ले सकता है, इसलिए एहतियातन केंद्रीय मंत्री का कार्यक्रम टाल दिया गया।
कांग्रेस का पलटवार
रश्मि सिंह ने कहा, “भाजपा और प्रशासन किसानों की आवाज़ से डर गए हैं। यही वजह है कि मंत्री जी ने आना ही उचित नहीं समझा। लेकिन यह शुरुआत है, अगर किसानों की समस्याओं का हल नहीं हुआ तो आवाज़ और बुलंद होगी।”
अब आगे क्या?
कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि किसानों को खाद, सिंचाई और समर्थन मूल्य जैसी मूलभूत सुविधाओं पर किसी तरह का समझौता नहीं होगा। उचेहरा से उठी यह लड़ाई अब पूरे जिले और प्रदेश में फैल सकती है।
