AIIMS भोपाल जल्द ही मध्य भारत का पहला सरकारी अस्पताल बन जाएगा, जहां डॉक्टर रोबोटिक सिस्टम की मदद से जटिल ऑपरेशन कर सकेंगे। यूरोलॉजी विभाग में स्थापित होने वाला दा विंची रोबोटिक आर्म सिस्टम दुनिया के सबसे एडवांस सिस्टम में से एक है, जिसकी लागत करीब 30 करोड़ रुपए है। इस सिस्टम की खासियत यह है कि डॉक्टर सीधे कंसोल से कमांड देंगे और दूसरे शहर या ऑपरेशन थिएटर में मौजूद रोबोटिक आर्म उसी कमांड के अनुसार सर्जरी करेगा।
ऐसे करेगा काम
रोबोटिक सिस्टम तीन हिस्सों में काम करेगा, एक कंसोल और दो रोबोटिक आर्म। डॉक्टर कंसोल से आदेश देंगे और ऑपरेशन थिएटर में मौजूद रोबोटिक आर्म उन्हें क्रियान्वित करेगा। खास बात यह है कि एक मोबाइल रोबोटिक आर्म भी होगा, जिसे दुनिया के किसी भी हिस्से में ले जाकर ऑपरेशन किया जा सकेगा। इसका मतलब है कि भोपाल का डॉक्टर विदेश में बैठे मरीज का भी ऑपरेशन कर सकता है।
एम्स के प्रशिक्षित डॉक्टर
एम्स भोपाल के यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टर केतन मेहरा ऑस्ट्रिया से रोबोटिक सर्जरी का प्रशिक्षण लेकर लौटे हैं। शुरुआत यूरोलॉजी विभाग से होगी और बाद में अन्य विभागों में भी इसका इस्तेमाल होगा। इससे प्रोस्टेट कैंसर, किडनी कैंसर और पेशाब की थैली के कैंसर जैसे जटिल ऑपरेशन भी आसानी से किए जा सकेंगे।
फायदे
- रोबोट का कैमरा सामान्य आंख से 10 गुना ज्यादा संवेदनशील है।
- हाई डेफिनिशन इमेजिंग और थ्रीडी विजन से शरीर के सबसे छोटे हिस्सों तक डॉक्टर देख और सर्जरी कर सकते हैं।
- सर्जरी छोटे छेद से होगी, जिससे मरीज का खून कम बहेगा और रिकवरी तेजी से होगी।
- जटिल हिस्सों तक पहुंचकर ऑपरेशन करना संभव होगा, जिससे मरीजों के लिए सुरक्षा और असर बढ़ेगा।
बढ़ती मांग
एम्स के डिप्टी डायरेक्टर संदेश जैन ने बताया कि बीमारियों की जटिलता बढ़ रही है, इसलिए रोबोटिक सर्जरी की मांग भी तेजी से बढ़ रही है। यह पारंपरिक सर्जरी की तुलना में अधिक सुरक्षित और प्रभावी साबित हो रही है।
विश्व रिकॉर्ड
हाल ही में एम्स की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रिया भावे चित्तावर ने दुनिया की अब तक की सबसे लंबी दूरी की रोबोटिक सर्जरी का रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने दिल्ली में बस में बैठकर कंसोल से कमांड दिए और भोपाल के आईसीयू में मौजूद रोबोट ने हिस्टेरेक्टॉमी (बच्चेदानी निकालने की सर्जरी) सफलतापूर्वक पूरी की।
