मध्य प्रदेश में मुकुंदपुर और उसके आसपास के गांवों को रीवा जिले में शामिल करने का मुद्दा अब राजनीतिक गर्मी का कारण बन गया है। रीवा सांसद जनार्दन मिश्रा ने पहली बार इस पर खुलकर अपनी राय रखी है। उन्होंने कहा कि मुकुंदपुर रीवा से बेहद करीब है और यहां के लोग पढ़ाई, इलाज और बाजार जैसे रोजमर्रा के कामों के लिए रीवा ही आते हैं। ऐसे में स्थानीय लोगों की मांग है कि मुकुंदपुर को रीवा में शामिल किया जाए।
6 गांवों को लेकर शुरू हुआ विवाद
सरकारी प्रस्ताव के मुताबिक मुकुंदपुर के साथ आनंदगढ़, आमिन, धोबहट, परसिया और पपरा समेत छह गांवों को रीवा जिले में शामिल करने की बात सामने आई है। लेकिन इस पर सतना जिले के नेताओं ने कड़ा विरोध जताया है। सतना सांसद, मैहर और अमरपाटन के विधायक, यहां तक कि पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी ने भी इस प्रस्ताव को गलत ठहराया। सतना सांसद ने इसे क्षेत्र की अखंडता से जोड़कर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा और इसे साजिश करार दिया।
सांसद जनार्दन मिश्रा का पक्ष
रीवा सांसद जनार्दन मिश्रा का कहना है कि यह मुद्दा पूरी तरह भौगोलिक और सामाजिक जरूरतों से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि मुकुंदपुर की जीवनशैली रीवा से मेल खाती है। वहां के लोग लगातार कह रहे हैं कि हमें रीवा में शामिल किया जाए। ऐसे में विरोध करना उचित नहीं है। यह परिसीमन आयोग की प्रक्रिया है और उसी के अनुसार फैसला लिया जाएगा।
कांग्रेस नेताओं की हवाबाजी की दिग्विजय सिंह ने खोली पोल। pic.twitter.com/otGUjES6Pg
— Janardan Mishra (Modi Ka Pariwar) (@Janardan_BJP) September 13, 2025
मुकुंदपुर के लोग क्या चाहते हैं?
गांव की स्थिति कुछ अलग है। मुकुंदपुर ग्रामसभा ने पहले रीवा में शामिल न किए जाने का प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन दूसरी ओर कई स्थानीय नागरिक और संगठन रीवा में शामिल होने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि विकास कार्य और सुविधाएं मिलने में आसानी होगी। खासकर व्हाइट टाइगर सफारी के कारण इन छह पंचायतों को रीवा में जोड़ने की मांग और तेज हो गई है।
फिलहाल, परिसीमन आयोग ने रीवा और मैहर, दोनों जिलों के कलेक्टर से रिपोर्ट मांगी है। आगे की कार्रवाई इन्हीं रिपोर्ट्स और स्थानीय राय पर निर्भर करेगी।
