रीवा जिले के सिरमौर का भीम राव अम्बेडकर सिविल अस्पताल करोड़ों रुपये की लागत से बना जरूर है, लेकिन हालत यह है कि आज तक यहां सुविधाएं पूरी तरह शुरू ही नहीं हो पाई हैं। अस्पताल बनने के सालों बाद भी यह अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।
अस्पताल में न तो पर्याप्त डॉक्टर हैं और न ही स्टाफ। जो डॉक्टर यहां पदस्थ हैं, वे ज्यादातर रीवा में रहते हैं और कभी-कभार आकर सिर्फ अटेंडेंस लगाकर लौट जाते हैं। इलाज के नाम पर मरीजों को सिर्फ औपचारिकता मिलती है। यही वजह है कि सिरमौर के लोग अपने मरीजों को यहां भर्ती करने की बजाय सीधे रीवा के संजय गांधी अस्पताल ले जाना ही बेहतर समझते हैं।
गंदगी और लापरवाही
अस्पताल परिसर में सफाई की स्थिति इतनी खराब है कि इसे खुद ही बीमार कह दिया जाए तो गलत नहीं होगा। अस्पताल में कभी ठीक से सफाई नहीं होती। कई बार शिकायतें हुईं, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तक निरीक्षण करने आए, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा। स्थिति जस की तस बनी हुई है।
एक्स-रे मशीन जंग खाकर बेकार
सबसे बड़ी विडंबना यह है कि अस्पताल में एक्स-रे मशीन मौजूद है, लेकिन वह वर्षों से जंग खा रही है। मशीन को चलाने के लिए आज तक कोई कर्मचारी नियुक्त नहीं किया गया। हालत यह है कि मशीन शोपीस बनकर धूल फांक रही है और मरीजों को मजबूरी में निजी अस्पतालों या रीवा जाना पड़ता है।
सिरमौर सिविल अस्पताल की इस दुर्दशा के पीछे जिम्मेदार अधिकारी और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही साफ दिखाई देती है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर कब तक यह अस्पताल सिर्फ दिखावे का केंद्र बना रहेगा? कब मरीजों को यहां असली सुविधाएं मिलेंगी? और क्यों लापरवाह अधिकारियों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई?
