सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को खजुराहो के मशहूर जवारी (वामन) मंदिर की सुनवाई हुई। यहां भगवान विष्णु की करीब 7 फीट ऊंची मूर्ति खंडित हालत में पड़ी है, जिसे बहाल करने की मांग करते हुए एक याचिका दाखिल की गई थी। याचिकाकर्ता ने अदालत से गुहार लगाई थी कि श्रद्धालुओं के पूजा करने के अधिकार की रक्षा की जाए और मंदिर की पवित्रता वापस लाई जाए।
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने मौखिक टिप्पणी की, “अगर आप भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हैं, तो उनकी मूर्ति की मरम्मत के लिए उनसे ही प्रार्थना कीजिए।” कोर्ट ने यह भी साफ किया कि प्रतिमा अपनी मौजूदा स्थिति में ही रहेगी और अगर भक्तों को पूजा करनी है तो वे दूसरे मंदिर जा सकते हैं।
ऐतराज जताया
सीजेआई की इस टिप्पणी पर विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने कड़ा ऐतराज जताया है। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने बयान जारी करते हुए कहा कि न्यायालय भारतीय समाज के लिए न्याय का मंदिर है और लोगों का उस पर गहरा विश्वास है। ऐसे में अदालत के अंदर हर किसी को अपनी वाणी में संयम रखना चाहिए चाहे वे वकील हों, मुकदमे लड़ने वाले हों या फिर न्यायाधीश।
परसों सर्वोच्च न्यायालय में खजुराहो के प्रसिद्ध जावरी मंदिर में स्थित भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति की मरम्मत के लिए याचिका की सुनवाई थी। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने मौखिक टिप्पणी की, मूर्ति की मरम्मत के लिए भगवान से ही प्रार्थना कीजिए। आप कहते हैं कि आप भगवान विष्णु के…
— Vishva Hindu Parishad -VHP (@VHPDigital) September 18, 2025
आलोक कुमार ने कहा, “मुख्य न्यायाधीश की मौखिक टिप्पणी ने हिन्दू धर्म की आस्थाओं का उपहास उड़ाया है। अच्छा होगा कि इस तरह की टिप्पणी करने से बचा जाए। कोर्ट पर सबका विश्वास है और यह भरोसा टूटना नहीं चाहिए।”
फैसले पर नाराजगी
विहिप के साथ-साथ याचिकाकर्ता राकेश दलाल ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नाराजगी जताई। उनका कहना है कि उन्होंने 13 जून को जनहित याचिका दायर की थी। इसमें साफ कहा गया था कि मुगल आक्रमणों के समय यह मूर्ति खंडित हुई थी और तब से इसी स्थिति में है। राकेश के मुताबिक, जब देश में बीजेपी की सरकार है, तब भी अगर मूर्ति की बहाली नहीं हो पा रही तो यह बेहद दुखद है।
निराशा जाहिर
उन्होंने कहा कि अदालत का यह कहना कि भक्त चाहें तो दूसरे मंदिर जाकर पूजा कर सकते हैं, उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करता है। राकेश ने इसे अपनी आस्था पर चोट बताते हुए निराशा जाहिर की है। अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी पर उठे विवाद के बाद आगे क्या रुख अपनाया जाता है और क्या खंडित मूर्ति को लेकर कोई ठोस कदम उठाया जाएगा या नहीं।