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विवादों में जबलपुर का सबसे बड़ा फ्लाईओवर, हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर

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Published On: 20 September 2025

1100 करोड़ रुपये की लागत से बने मध्यप्रदेश के सबसे बड़े फ्लाईओवर को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस फ्लाईओवर का उद्घाटन किया था। हालांकि, अब इसके डिज़ाइन और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

जबलपुर निवासी अधिवक्ता अलका सिंह ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में फ्लाईओवर की लैंडिंग व्यवस्था, ध्वनि प्रदूषण और यू-टर्न की कमी को चुनौती दी गई है। मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी।

ध्वनि प्रदूषण

याचिकाकर्ता का कहना है कि फ्लाईओवर के दोनों ओर कॉलोनियां हैं और यहां से गुजरते वाहनों की तेज रफ्तार (लगभग 100 किमी/घंटा तक) से लगातार शोर और ध्वनि प्रदूषण हो रहा है। इससे आसपास के निवासियों के निजता और स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है। अधिवक्ता ने इस स्थिति को नागरिकों के मूल अधिकारों का उल्लंघन बताया है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि फ्लाईओवर की लैंडिंग व्यवस्था खतरनाक है, खासकर मदन महल और राइट टाउन क्षेत्र में। यहां पर यू-टर्न के अभाव के कारण फ्लाईओवर के उतरने वाले पॉइंट्स एक्सीडेंटल पॉइंट बन गए हैं। कई जगह ट्रैफिक जाम की स्थिति बनती है और ट्रैफिक कंट्रोल के लिए पर्याप्त पुलिस बल मौजूद नहीं रहता।

फैल रही गंदगी

अधिवक्ता ने यह भी बताया कि फ्लाईओवर से लोग नीचे कचरा फेंकते हैं, जिससे इलाके में गंदगी फैल रही है और साफ-सफाई की समस्या बढ़ रही है। उन्होंने हाईकोर्ट से मांग की है कि फ्लाईओवर के खतरनाक डिज़ाइन और अन्य खामियों को दूर करने के लिए प्रशासन को निर्देश दिए जाएं।

मदन महल रेलवे स्टेशन के ऊपर बने स्टे केबल ब्रिज वाले इस फ्लाईओवर के उद्घाटन के समय इसे शहर के सबसे बड़े और आधुनिक परियोजना के रूप में प्रचारित किया गया था। हालांकि, अब सुरक्षा, ध्वनि प्रदूषण और यातायात नियंत्रण जैसी समस्याओं ने इस परियोजना की प्रशंसा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

अगली सुनवाई 22 सितंबर को

हाईकोर्ट में याचिका दायर होने के बाद प्रशासन को निर्देशित किया गया है कि फ्लाईओवर की खामियों को दूर करने और ट्रैफिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाए जाएं। मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी, जब न्यायालय इस पर विस्तृत विचार करेगा। यह फ्लाईओवर शहर की मुख्य सड़कों पर ट्रैफिक को आसान बनाने के उद्देश्य से बनाया गया था, लेकिन अब इसके डिज़ाइन और सुरक्षा उपायों पर उठे सवाल इसे विवादों में ला चुके हैं।

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