भोपाल के छोला मंदिर इलाके में आयोजित दुर्गावाहिनी पथ संचलन के दौरान पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने ऐसे बयान दिए, जिन्होंने शहर में तीखी भड़क पैदा कर दी। ठाकुर ने भाषण के दौरान गैर-हिंदुओं के प्रति कड़े रुख की वकालत की और कहा कि मंदिरों के आसपास प्रसाद बेचने वालों की पहचान कर विधर्मियों (गैर-सनातनी) को रोका जाए। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और वे प्रसाद नहीं खरीदने और मंदिरों में प्रवेश नहीं देने का आह्वान कर रही हैं।
आक्रोश
प्रज्ञा ठाकुर ने अपने संबोधन में कुछ कड़े और विवादास्पद विचार भी व्यक्त किए वे महिलाओं को सशस्त्र रहने का सुझाव देती नजर आईं और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को लेकर तीखी भाषा भी इस्तेमाल की। उनके वक्तव्य में उपयोग किए गए सामाजिक समरसता के लिए खतरनाक बताया जा रहा है। इससे पहले मालेगांव ब्लास्ट मामले में बरी होने के बाद उनके सार्वजनिक मंचों पर दिए गए बयान सुर्खियों में रहे हैं।
प्रतिक्रियाएँ
ठाकुर के बयान के बाद राजनीतिक दलों और नागरिक संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। विपक्षी पार्टियों ने उनके शब्दों को सांप्रदायिक और विभाजनकारी बताया और कहा कि ऐसे बयान सामाजिक शांति को भंग कर सकते हैं। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी ऐसे वक्तव्यों की निन्दा करते हुए कहा कि धार्मिक पहचान के आधार पर किसी समुदाय का बहिष्कार या उत्पीड़न संवैधानिक मानदण्डों के विपरीत है।
मांगें तेज
स्थानीय नागरिकों और संगठनों ने पुलिस प्रशासन और चुनाव आयोग से स्पष्ट कार्रवाई की माँग उठाई है कि सार्वजनिक रूप से नफरत फैलाने वाले बयानों पर संज्ञेय कार्रवाई और यदि आवश्यक हो तो भाषण दर्ज कर जांच की जानी चाहिए। कुछ कानूनी विशेषज्ञों ने भी बताया कि सार्वजनिक तौर पर किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ भेदभावपूर्ण आह्वान करना आपराधिक धाराओं के दायरे में आ सकता है।
सामाजिक सरोकार
विशेषज्ञों का कहना है कि धार्मिक आयोजनों और सार्वजनिक समारोहों में संरक्षण, संवेदनशीलता और कानून का पालन अनिवार्य है। उन्होंने सभी समुदायों से संयम बरतने और प्रशासन से कड़ी निगरानी की अपील की है, ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना और सामाजिक तनाव से बचा जा सके।