शीतलामाता बाजार में चल रहे विवाद ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के शनिवार को किए गए दौरे के बाद से शहर में विरोध प्रदर्शन और तेज हो गया है। सोमवार रात हिंदू महासभा ने दिग्विजय सिंह और राहुल गांधी का पुतला दहन किया और उनके खिलाफ नारेबाजी की। इस विरोध में शीतलामाता बाजार व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष हेमा भैया पंजवानी ने भी समर्थन जताया।
महापौर का तीखा हमला
इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने दिग्विजय सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने शहर के शांतिपूर्ण माहौल को खराब करने की कोशिश की। भार्गव ने कहा, “दिग्विजय सिंह और कांग्रेस का गर्त में जाने का सबसे बड़ा कारण मुस्लिम तुष्टिकरण है। यदि किसी ने लव जिहाद पर सवाल उठाए हैं और समाज उसके साथ खड़ा है तो वहां दिग्विजय सिंह को दखल देने की जरूरत नहीं थी।” महापौर ने आगे कहा कि दिग्विजय सिंह सिर्फ वैमनस्यता फैलाने आए थे और उन पर केस दर्ज होना चाहिए।
सज्जन वर्मा पर भी पलटवार
महापौर ने पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के हालिया बयान पर भी कड़ी आपत्ति जताई। वर्मा ने कहा था कि विधायक पुत्र भागते हुए नजर आएंगे। इस पर भार्गव ने जवाब दिया कि कांग्रेस खुद युवाओं के विरोध से पीछे हट चुकी है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि सज्जन वर्मा कभी इंदौर से भागते हैं, कभी देवास से अब उन्हें तय करना चाहिए कि वे कहां रहना चाहते हैं।
विवाद की जड़
दरअसल, विवाद की शुरुआत तब हुई जब भाजपा विधायक मालिनी गौड़ के बेटे एकलव्य गौड़ ने बाजार के व्यापारियों से अपील की कि वे अपनी दुकानों से मुस्लिम कर्मचारियों को हटा दें। गौड़ ने इसके लिए 25 सितंबर तक का अल्टीमेटम भी दिया था। इस बयान ने पूरे शहर में बहस छेड़ दी।
इसी मुद्दे पर दिग्विजय सिंह शनिवार को शीतलामाता बाजार पहुंचे। यहां हंगामे की स्थिति बनी और बाद में वे थाने भी गए। उन्होंने आरोप लगाया कि मुसलमानों को केवल धर्म के आधार पर नौकरी से हटाने की कोशिश की जा रही है, जो पूरी तरह गैरकानूनी है। दिग्विजय सिंह ने कहा कि निर्दोष लोगों को धमकाना गलत है और सरकार इस मामले में कार्रवाई करने से बच रही है।
बढ़ता तनाव
अब यह विवाद केवल बाजार तक सीमित नहीं रहा, बल्कि राजनीतिक नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का मुद्दा बन गया है। एक ओर कांग्रेस इसे सामाजिक सौहार्द का मामला बता रही है, वहीं भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है।
हिंदू महासभा और व्यापारियों के विरोध के बाद साफ है कि आने वाले दिनों में यह विवाद और गहराएगा। प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं कि माहौल बिगड़ने से पहले सख्त कदम क्यों नहीं उठाए गए।
