बंगाल में नवरात्र का अनोखा रंग, सिंदूर खेला के साथ मनाई जाती है विजयादशमी

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Published On: 1 October 2025

भारत में नवरात्र का पर्व हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में शामिल है। यह पर्व मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना के लिए मनाया जाता है और दशमी के दिन दुर्गा विसर्जन के साथ समाप्त होता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में नवरात्र का उत्सव अलग रूप में मनाया जाता है, लेकिन पश्चिम बंगाल में यह दुर्गा पूजा और सिंदूर खेला के रूप में खास तरीके से मनाई जाती है।

बंगाल में दुर्गा पूजा षष्ठी से शुरू होती है और विजयादशमी तक चलती है। दशमी के दिन आयोजित सिंदूर खेला इस पर्व का सबसे रंगीन और मनोरंजक हिस्सा माना जाता है।

सिंदूर खेला की परंपरा

सिंदूर खेला में बंगाली हिंदू महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर चढ़ाती हैं और पंडाल में मौजूद लोगों को सिंदूर लगाकर शुभकामनाएं देती हैं। इसे आसान भाषा में समझें तो यह सिंदूर की होली जैसा उत्सव है। इस दौरान महिलाएं एक-दूसरे पर सिंदूर लगाती हैं और दुर्गा पूजा का समापन धूमधाम से करती हैं।

क्यों मनाई जाती है यह रस्म

बंगाल में माना जाता है कि नवरात्र के दौरान माता अपने मायके नौ दिनों के लिए आती हैं। इसके उपलक्ष्य में बड़े-बड़े पंडालों में मां दुर्गा की मूर्तियों की स्थापना की जाती है। षष्ठी से शुरू हुई पूजा-अर्चना के बाद, विजयादशमी के दिन सिंदूर खेला करके मां दुर्गा को विदा किया जाता है। इस रस्म के जरिए महिलाएं मां दुर्गा के प्रति अपनी भक्ति और सौभाग्य की कामना व्यक्त करती हैं।

सिंदूर खेला का इतिहास

सिंदूर खेला की परंपरा करीब 450 साल पुरानी मानी जाती है। शुरुआत में यह रस्म जमींदारों की दुर्गा पूजा के दौरान शुरू हुई थी। ऐसा माना जाता है कि इस रस्म में हिस्सा लेने से महिला विधवा होने से बचती है और उनके वैवाहिक जीवन में सौभाग्य बना रहता है। यही कारण है कि सिंदूर खेला बंगाल की संस्कृति और महिलाओं की पारंपरिक आस्था में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

कौन लेता है इसमें हिस्सा

सिंदूर खेला मुख्य रूप से विवाहित बंगाली हिंदू महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। परंपरा के अनुसार, विवाहित महिलाएं ही इस रस्म में हिस्सा लेती हैं और पूरे रीति-रिवाज के साथ इसे संपन्न करती हैं। इस रस्म को साल भर के इंतजार के साथ मनाया जाता है, क्योंकि इसे करने से महिलाओं के वैवाहिक जीवन में खुशहाली और पति की लंबी उम्र की कामना मानी जाती है।

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