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छिंदवाड़ा में 2 कफ सिरप पर रोक, 15 दिनों में 6 बच्चों की मौत; जांच में मिला खतरनाक केमिकल

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Published On: 2 October 2025

छिंदवाड़ा जिले में बच्चों की मौत के मामलों के बाद प्रशासन हरकत में आया है। पिछले 15 दिनों में किडनी फेल होने से छह बच्चों की मौत हो गई, जबकि कई बच्चे गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं। इन मामलों की जांच में सामने आया कि बाजार में बिक रहे दो कफ सिरप बच्चों की मौत की वजह बने हैं। इसके बाद कलेक्टर ने तत्काल प्रभाव से इन दवाओं की बिक्री और इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया।

प्रशासन ने जिन सिरप पर रोक लगाई है, उनके नाम Coldrif और Nextro-DS हैं। जांच रिपोर्ट में पाया गया कि इनमें डायथिलीन ग्लाइकॉल नामक जहरीला तत्व मौजूद है। यह तत्व सीधे किडनी पर असर डालता है और बच्चों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रहा है।

ऐसे हुआ खुलासा

20 सितंबर के बाद जिले के अलग-अलग हिस्सों में कई बच्चों को खांसी-जुकाम की शिकायत हुई। डॉक्टरों या दुकानदारों से सलाह लेकर परिजनों ने इन सिरप का उपयोग किया। लेकिन दवा पीने के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ गई। कई बच्चों का पेशाब बंद हो गया और हालत इतनी गंभीर हो गई कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इसमें से छह बच्चों की जान नहीं बचाई जा सकी।

दवा विक्रेताओं की अपील

मैहर जिला दवा विक्रेता संघ के अध्यक्ष नीरज गर्ग ने आम लोगों से अपील की है कि वे इन दोनों कफ सिरप का इस्तेमाल न करें। उन्होंने कहा कि बच्चों को सिर्फ पंजीकृत डॉक्टर की सलाह से ही दवा दी जाए। गर्ग ने बताया कि इन सिरप को लेकर अब बाजार में सतर्कता बरती जा रही है और दुकानदारों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे इन्हें किसी को न बेचें।

प्रशासन की सख्ती

कलेक्टर ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि अब जिले में इन दोनों सिरप की बिक्री, स्टॉक और उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित है। स्वास्थ्य विभाग को भी निगरानी बढ़ाने और अन्य संभावित दवाओं की जांच के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही अस्पतालों को सतर्क रहने के लिए कहा गया है ताकि अगर किसी बच्चे में ऐसे लक्षण दिखें तो तुरंत उपचार मिल सके।

लोगों में दहशत

लगातार बच्चों की मौत के बाद जिले में दहशत का माहौल है। माता-पिता अब बच्चों को कोई भी सिरप देने से पहले डॉक्टर से सलाह ले रहे हैं। वहीं प्रशासन ने भरोसा दिलाया है कि दोषी कंपनियों और आपूर्तिकर्ताओं पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। छिंदवाड़ा का यह मामला एक बार फिर सवाल खड़ा करता है कि बाजार में बिक रही दवाओं की गुणवत्ता की नियमित जांच क्यों नहीं होती। फिलहाल प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे सतर्क रहें और बच्चों को कोई भी दवा बिना डॉक्टर की सलाह के न दें।

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