90 के दशक में जब बॉलीवुड में हॉरर फिल्मों को सिर्फ डर और भूत-प्रेत की कहानियों तक सीमित माना जाता था, तब एक ऐसी फिल्म आई जिसने दर्शकों की सोच को पूरी तरह बदल दिया। इस फिल्म ने यह साबित कर दिया कि डर भी खूबसूरत और भावनाओं से भरा हो सकता है। इस फिल्म की कहानी सिर्फ डराने के लिए नहीं थी, बल्कि इसके पीछे एक ऐसी लव स्टोरी छिपी थी जिसने हर दर्शक को अंदर तक झकझोर दिया। महेश भट्ट के निर्देशन में बनी यह फिल्म उस दौर की सबसे चर्चित और तकनीकी रूप से एडवांस फिल्मों में से एक मानी जाती है।
इस फिल्म का नाम है ‘जुनून’, जो आज भी भारतीय हॉरर सिनेमा की यादगार फिल्मों में गिनी जाती है। यह फिल्म साल 1992 में रिलीज हुई थी और इसमें राहुल रॉय और पूजा भट्ट की जोड़ी ने अपनी शानदार परफॉर्मेंस से दर्शकों का दिल जीत लिया था। लगभग 2 घंटे 3 मिनट लंबी इस फिल्म ने उस दौर के सीमित तकनीकी संसाधनों के बावजूद ऐसा विजुअल इफेक्ट दिखाया, जिसने लोगों को हैरान कर दिया था।
फिल्म की कहानी
‘जुनून’ की कहानी विक्रम नाम के एक युवक की है, जो जंगल में एक शापित बाघ को मार देता है। लेकिन उसी वक्त वह खुद उस बाघ के श्राप का शिकार हो जाता है। अब हर पूर्णिमा की रात वह इंसान से बाघ में बदल जाता है। उसकी पत्नी नीता (पूजा भट्ट) इस श्राप को तोड़ने की कोशिश करती है, लेकिन यह सफर आसान नहीं होता। फिल्म डर, रहस्य और एक शापित प्रेम कहानी का ऐसा संगम है जो दर्शकों को अंत तक बांधे रखता है।
फिल्म की खास बातें
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इस फिल्म का निर्देशन महेश भट्ट ने किया था और इसे मुकेश भट्ट ने प्रोड्यूस किया था।
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संगीत की बात करें तो नदीम-श्रवण की जोड़ी ने इसमें ऐसे गाने दिए जो आज भी याद किए जाते हैं, वहीं विजू शाह का बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म को और प्रभावशाली बनाता है।
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फिल्म की सिनेमैटोग्राफी प्रवीन भट्ट ने की थी, जिन्होंने जंगल और रात के दृश्यों को बेहद खूबसूरती से दिखाया।
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उस समय फिल्म में इस्तेमाल किया गया “मॉर्फिंग इफेक्ट” भारतीय सिनेमा के लिए बिल्कुल नया था, जिसमें इंसान का चेहरा बाघ में बदलता हुआ दिखाया गया था दर्शक इसे देखकर दंग रह गए थे।
कमाई और सफलता
‘जुनून’ को करीब 85 लाख रुपये के बजट में बनाया गया था और इसने 2.50 करोड़ रुपये की शानदार कमाई की थी। यह अपने समय की सबसे चर्चित और कमाई करने वाली हॉरर फिल्मों में से एक बन गई थी। IMDb पर इसे 5.6/10 की रेटिंग मिली है, लेकिन दर्शकों के दिलों में इसका प्रभाव आज भी कायम है।