छिंदवाड़ा में जहरीले कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौतों के बाद अब विपक्ष ने MP सरकार पर सख्त हमला बोला है। मंगलवार को मध्य प्रदेश और राजस्थान के नेता प्रतिपक्षों ने दिल्ली में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि कफ सिरप पीने से अब तक 19 बच्चों की मौत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि परासिया से विधायक सोहन बाल्मीकि ने घटना के तुरंत बाद मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और कलेक्टर को पत्र लिखे और धरना प्रदर्शन किए, लेकिन सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया।
सिंघार का आरोप
सिंघार ने आरोप लगाया कि यह मामला भ्रष्टाचार और कमीशन से जुड़ा है और इसकी न्यायिक जांच होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को नियम के मुताबिक 72 घंटे के भीतर टेस्ट कराना जरूरी था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
परासिया के विधायक सोहन लाल बाल्मीकि ने कहा कि सरकार छोटे मामलों में घर गिराती है, लेकिन बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार स्वास्थ्य मंत्री और उपमुख्यमंत्री पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री पर सीधे सवाल उठाए और कहा कि अगर उनकी संवेदनशीलता सच में होती, तो बच्चों की जान बचाई जा सकती थी।
पैसा करे वापस
नेता प्रतिपक्ष ने यह भी बताया कि बच्चों के इलाज पर परिवारों ने लाखों रुपए खर्च किए, जमीन और जेवर गिरवी रखकर अपने बच्चों का इलाज कराया। उन्होंने मांग की कि सरकार इलाज में हुए खर्च का पूरा पैसा परिवारों को वापस करे और प्रभावित परिवारों के एक सदस्य को नौकरी दी जाए।
मेरी मुख्यमंत्री @DrMohanYadav51 जी से अपील है कि जहरीली कफ सिरप से जिन बच्चों की मृत्यु हुई एवं जो बच्चे बीमार हैं वो गरीब परिवारों से आते हैं और इलाज कराने में असमर्थ हैं। उनका उचित इलाज किया जाए एवं पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाए।
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.@DrMohanYadav51 @rshuklabjp…— Umang Singhar (@UmangSinghar) October 7, 2025
सिंघार ने यह भी आरोप लगाया कि चार दिन पहले स्वास्थ्य मंत्री कह रहे थे कि कफ सिरप से कोई मौत नहीं हो रही, जबकि सच्चाई इसके विपरीत थी। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु की कंपनी के पक्ष में सरकारी बयान दिए जा रहे थे, जबकि रीवा जिला इस सिरप का सबसे बड़ा केंद्र बन चुका था।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली भी शामिल हुए। उन्होंने सरकार की संवेदनहीनता पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस मामले में उच्च स्तरीय कार्रवाई और न्यायिक जांच होनी चाहिए।