बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए चुनाव आयोग ने दो चरणों में मतदान कराने की घोषणा कर दी है। लेकिन राज्य के बड़े राजनीतिक गठबंधनों में सीटों के बंटवारे का काम अभी तक पूरा नहीं हुआ है। दोनों ही बड़े गठबंधन—एनडीए और महागठबंधन—अपनी तैयारी के पहले चरण में उलझे हुए हैं।
एनडीए में सबसे ज्यादा चर्चा लोजपा (रा) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की मांगों को लेकर है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने बताया कि मंगलवार को चिराग पासवान से केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय भी मिले। यह बैठक नई दिल्ली में चिराग के आवास पर हुई, जिसमें बिहार चुनाव और एनडीए सरकार की मजबूती पर चर्चा की गई।
चिराग की मांगें
चिराग पासवान विधानसभा सीटों की संख्या को लेकर अड़े हुए हैं। पहले उन्हें 18-20 सीटें देने की बात थी, अब यह संख्या 25 हो गई है। इसके बावजूद चिराग लोकसभा में जीती एक सीट के एवज में छह और विधानसभा सीटें चाहते हैं। चिराग के पांच सांसद हैं और उनके अनुसार उन्हें कुल कम से कम 30 सीटें मिलनी चाहिए।
एनडीए के दो अन्य घटक दल हिंदुस्तान अवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा से भी बातचीत जारी है, लेकिन कोई ठोस परिणाम अभी नहीं निकला है।
मांझी की मांग
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की अगुवाई वाला हिंदुस्तान अवाम मोर्चा 16-18 सीटें मांग रहा है। हालांकि, वह लगभग 10-12 सीटों पर संतोष कर सकता है। मोर्चा का तर्क है कि उसे इतनी सीटें चाहिए ताकि विधायकों की संख्या कम से कम सात हो और पार्टी को राज्य स्तरीय दल का दर्जा मिल सके।
जदयू और भाजपा का मतभेद नहीं
जदयू और भाजपा के बीच सीटों को लेकर कोई बड़ा मतभेद नहीं है। जदयू की मांग है कि उसे भाजपा से पहले की तरह एक अतिरिक्त सीट मिले।
बिहार के विधानसभा चुनाव में गठबंधनों के भीतर सीटों के बंटवारे का यह दौर अभी भी जारी है। चिराग पासवान और मांझी जैसे घटक दलों की मांगों को संतुलित करने के लिए नेताओं को अब कई दौर की बैठकें करनी होंगी। एनडीए और महागठबंधन की तैयारियों का यह चरण तय करेगा कि दोनों गठबंधन अपने उम्मीदवारों को कब तक फाइनल करेंगे।