मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर बुधवार को एक दिवसीय दौरे पर जबलपुर पहुंचे। उन्होंने बिजली विभाग के मुख्यालय ‘शक्ति भवन’ में कई नई योजनाओं और केंद्रों का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने पालनाघर और एएमआई नेटवर्क ओपन सेंटर का उद्घाटन किया। इसके साथ ही स्मार्ट मीटर और शटडाउन संबंधी शिकायतों के लिए ऑनलाइन सेंटर की शुरुआत भी की।
ऑनलाइन सुविधा की शुरुआत
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि अब बिजली विभाग के दफ्तर में कामकाजी माताएं अपने बच्चों को सुरक्षित रूप से पालनाघर में छोड़ सकेंगी। वहीं, उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर और बिजली कटौती से जुड़ी जानकारी अब ऑनलाइन सेंटर के जरिए आसानी से मिल सकेगी। इससे लोगों को शिकायत दर्ज कराने और समाधान पाने में सुविधा होगी।
कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार
स्मार्ट मीटर को लेकर कांग्रेस के आरोपों पर ऊर्जा मंत्री ने कहा कि कुछ लोग यह झूठ फैला रहे हैं कि इन मीटरों का पाकिस्तान से संबंध है, लेकिन यह पूरी तरह गलत है। तोमर ने स्पष्ट किया कि प्रदेश में लगने वाले सभी स्मार्ट मीटर भारत में ही निर्मित हैं और इन्हें ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत तैयार किया गया है।
स्मार्ट मीटर के फायदे
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं को अपनी रियल टाइम बिजली खपत देखने की सुविधा देता है। मोबाइल ऐप से लोग यह जान सकते हैं कि उन्होंने कितनी बिजली इस्तेमाल की है। उन्होंने कहा कि सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक बिजली उपयोग पर 20% तक की छूट दी जा रही है। सिर्फ इस महीने 7 लाख उपभोक्ताओं को करीब 7 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है, यानी हर उपभोक्ता को औसतन 100 रुपये की बचत मिली है।
गलत रीडिंग पर मिलेगा नया मीटर
तोमर ने यह भी कहा कि अगर किसी उपभोक्ता को लगता है कि उसका मीटर गलत रीडिंग दे रहा है, तो सात दिन के भीतर जांच कर नया मीटर लगाया जाएगा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि स्मार्ट मीटर और पुराने मीटर की रीडिंग में कोई अंतर नहीं होगा।
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि स्मार्ट मीटर लगाने की समयसीमा अब 2028 तक बढ़ाई गई है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय उपभोक्ताओं के विरोध के कारण नहीं, बल्कि मीटरों की कमी और तकनीकी तैयारी को देखते हुए लिया गया है।
कांग्रेस के सवाल और आरोप
वहीं, विपक्ष के नेता उमंग सिंघार ने विधानसभा में आरोप लगाया कि प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने का ठेका सऊदी अरब की अल्फानार कंपनी को दिया गया है, जिसके कुछ पदों पर पाकिस्तानी नागरिक हैं। उन्होंने आशंका जताई कि उपभोक्ताओं के डेटा की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। सिंघार ने बताया कि अब तक प्रदेश में करीब 25 लाख स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं, जिन पर कुल करीब 2,000 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।