एम.वाय. अस्पताल प्रशासन की चूहा कांड के बाद की कार्रवाई का सच सामने आया है। जयस संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट लोकेश मुजाल्दा ने बताया कि चूहा कांड के बाद डॉ. मुकेश जायसवाल को निलंबित बताया गया था, लेकिन अब वही अधिकारी दवा, गोली और अन्य चिकित्सा सामग्री की खरीद समिति का सदस्य बना दिया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि प्रशासन की कार्रवाई केवल दिखावे के लिए थी, जनता और कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास किया गया।
किया गया गुमराह
एम.वाय. अस्पताल के डीन और अधीक्षक ने उच्च न्यायालय में शपथ पत्र देकर दावा किया था कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई। उन्होंने डॉ. जायसवाल के निलंबन आदेश को प्रमाण के तौर पर कोर्ट में पेश किया। लेकिन अब वही अधिकारी परचेजिंग कमेटी में शामिल कर दिया गया है। यह कदम कोर्ट, मीडिया और जनता को भ्रमित करने जैसा है और प्रशासन की गंभीर लापरवाही को उजागर करता है।
जयस संगठन का आरोप
जयस संगठन का कहना है कि एम.वाय. अस्पताल के डीन और अधीक्षक लगातार झूठ बोल रहे हैं और जनता, जिला प्रशासन और मीडिया को गुमराह कर रहे हैं। एडवोकेट लोकेश मुजाल्दा ने कहा कि निलंबित अधिकारी को समिति में शामिल करना केवल दिखावे की कार्रवाई नहीं, बल्कि चूहा कांड जैसी दर्दनाक घटना को दबाने का प्रयास भी है।
CM से कार्रवाई की मांग
जयस संगठन ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मांग की है कि स्वास्थ्य विभाग के उन आईएएस अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाए, जिन्होंने विभाग में ड्रग्स कंट्रोल और अन्य व्यवस्थाओं में भ्रष्टाचार का नेटवर्क बना रखा है।
एडवोकेट लोकेश मुजाल्दा ने कहा कि मुख्यमंत्री जिस तरह आदिवासी बच्ची की दर्दनाक मौत पर मौन साधे हुए हैं, वह पूरे समाज के लिए संवेदनहीनता और हृदयविदारक है। जनता का आक्रोश लगातार बढ़ रहा है।