दमोह में ओबीसी समाज के युवक से पैर धुलवाकर पानी पिलाने का मामला एक बार फिर हाईकोर्ट पहुंचा। शुक्रवार को इस केस की सुनवाई जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस ए.के. सिंह की डिवीजन बेंच में हुई। इस दौरान आरोपी अनुज पांडे और अन्य की ओर से याचिका दाखिल की गई। अदालत ने इस पूरे मामले को मुख्य याचिका के साथ जोड़ते हुए दमोह के एसपी और कलेक्टर से शपथपत्र के साथ जवाब मांगा है।
28 अक्टूबर को अगली सुनवाई
राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि पहले दिए गए निर्देशों के मुताबिक ही आरोपियों पर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (एनएसए) के तहत कार्रवाई की गई है। कोर्ट ने इस मामले को कवर करने वाले एक न्यूज चैनल और एक यूट्यूब चैनल को भी जवाब देने के लिए समय दिया है। अब अगली सुनवाई 28 अक्टूबर को होगी।
एसपी ने दी ये जानकारी
दमोह एसपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने बताया कि 14 अक्टूबर को हाईकोर्ट से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मौखिक निर्देश मिले थे, जिसके बाद उन्होंने पांच आरोपियों पर एनएसए की सिफारिश की थी। वहीं दमोह कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने कहा कि एसपी से मिले प्रतिवेदन के आधार पर ही एनएसए लगाने का आदेश जारी किया गया।
मामला तब सामने आया था जब कुछ युवकों ने एक ओबीसी वर्ग के व्यक्ति से पैर धुलवाकर वही पानी पीने का वीडियो बनाया था। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मामला पूरे प्रदेश में सुर्खियों में आ गया।
कार्रवाई के निर्देश
14 अक्टूबर को जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस प्रदीप मित्तल की डिवीजन बेंच ने इस घटना पर स्वतः संज्ञान लेते हुए दमोह पुलिस और प्रशासन को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने कहा था कि यह घटना न सिर्फ सामाजिक सौहार्द के खिलाफ है, बल्कि कानून और मानवता दोनों का अपमान है। इसके बाद प्रशासन ने पांच युवकों पर एनएसए की कार्रवाई की थी।
अब इस पूरे मामले की फिर से न्यायिक समीक्षा हो रही है। अदालत यह देखेगी कि एनएसए लगाने में कानूनी प्रक्रिया का पालन हुआ या नहीं। फिलहाल, दमोह प्रशासन को शपथपत्र के साथ पूरा ब्यौरा पेश करना होगा। अब सबकी नजरें 28 अक्टूबर की अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जब यह तय हो सकता है कि इस संवेदनशील मामले में आगे क्या रुख अपनाया जाएगा।
