जहां पूरे देश में परिवार के साथ दिवाली की रौनक देखने को मिल रही है, वहीं रीवा के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने यह त्योहार गरीब बच्चों के साथ मनाकर एक अलग ही संदेश दिया। जिले की बस्तियों में रहने वाले बच्चों ने इस दिवाली को पहली बार पूरी तरह से आनंद के साथ महसूस किया। उन्होंने फुलझड़ियां जलाईं, पटाखे फोड़े और मिठाइयां खाईं, साथ ही उन्हें उपहार और रोजमर्रा की जरूरी चीजें भी दी गईं।
सामाजिक कार्यकर्ता सुजीत द्विवेदी ने बताया कि यह आयोजन उनकी संस्था ‘शहीद भगत सिंह सेवा समिति’ के माध्यम से किया गया। उन्होंने कहा कि यह कोई पहली बार नहीं है। पिछले कई वर्षों से वे इसी तरह गरीब बच्चों के लिए त्यौहार मनाते आ रहे हैं। इस दौरान बच्चों को खाने-पीने की चीजें, छोटे-छोटे तोहफे और जरूरी सामान वितरित किया गया।
सुजीत ने कहा, “यदि हमारी वजह से किसी के चेहरे पर मुस्कान आती है, तो यही जीवन का असली सुख है।” उन्होंने आगे बताया कि पिछले छह सालों से दीपावली और होली जैसे त्यौहार इन्हीं बच्चों के साथ मनाते आ रहे हैं। उनका मानना है कि समाज के सभी लोग अपने हिस्से की खुशियां गरीब और जरूरतमंद लोगों के साथ साझा करें।
बच्चों के चेहरे पर खुशी
पूरे आयोजन में कष्टहरनाथ, प्रणव और समिति के अन्य सदस्य भी मौजूद थे। बच्चों के चेहरे पर हर वक्त मुस्कान और खुशी दिखाई दे रही थी। फुलझड़ियों की रोशनी और मिठाइयों की खुशबू ने पूरे इलाके का माहौल उल्लास और उत्साह से भर दिया। सुजीत ने कहा, “हमारा उद्देश्य सिर्फ बच्चों को खुश करना नहीं, बल्कि समाज में यह संदेश फैलाना है कि अगर आप किसी की मदद करते हैं, उसकी खुशी में शामिल होते हैं, तो वही सच्चा त्यौहार है।”
सामाजिक संदेश
इस आयोजन से यह साफ हुआ कि त्यौहार सिर्फ रोशनी और पटाखों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इसमें दूसरों के लिए खुशियां बांटना भी उतना ही जरूरी है। समिति के सदस्यों ने इस मौके पर लोगों से अपील की कि वे भी जरूरतमंद बच्चों और गरीब परिवारों के साथ अपने त्यौहार की खुशियां साझा करें। इस तरह रीवा के गरीब बच्चों के लिए यह दिवाली खुशियों, उपहारों और सामाजिक प्यार से भरपूर साबित हुई।
