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MP महिला और बाल विकास विभाग की सलाह; छह महीने बाद बच्चों को अंडा, मछली और मांस देना फायदेमंद

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Published On: 27 October 2025

MP में दो साल तक के बच्चों के पोषण को लेकर महिला और बाल विकास विभाग ने नई गाइडलाइन जारी की है। विभाग का कहना है कि अगर परिवार मांसाहारी है, तो छह महीने की उम्र के बाद बच्चों को अंडा, मछली और मांस खिलाना चाहिए। इससे बच्चों में कुपोषण और खून की कमी (अनीमिया) को रोका जा सकता है। विभाग ने बच्चों के पोषण के पांच जरूरी सूत्र बताए हैं, जिन्हें अब आंगनवाड़ी केंद्रों और जनजागरूकता कार्यक्रमों के ज़रिए लोगों तक पहुंचाया जाएगा। ये दिशा-निर्देश केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के पोषण अभियान के तहत जारी किए गए हैं। विभाग ने इन्हें अपनी वेबसाइट पर भी डाल दिया है ताकि हर परिवार इन बातों को आसानी से समझ सके।

पांच सूत्र

  • पहले 1000 सुनहरे दिन: बच्चे के जन्म से लेकर दो साल तक का समय बेहद अहम होता है। इस दौरान मां और बच्चे दोनों को अच्छा पोषण और देखभाल चाहिए।
  • पौष्टिक आहार: छह महीने बाद बच्चों को घर का बना हल्का और गाढ़ा खाना दें। मांसाहारी परिवार अंडा, मछली और मांस भी शामिल कर सकते हैं।
  • अनीमिया से बचाव: बच्चे को आयरन और प्रोटीन से भरपूर खाना खिलाएं, जैसे हरी सब्जियां, दालें, दूध, दही और फल।
  • डायरिया से बचाव: साफ पानी और स्वच्छ भोजन का इस्तेमाल करें।
  • स्वच्छता पर फोकस: घर और बच्चे की साफ-सफाई पर ध्यान दें ताकि बीमारियां न फैलें।

“बाजार की चीजों से बच्चों को दूर रखें”

विभाग ने साफ कहा है कि बिस्किट, चिप्स, नमकीन, मिठाई और जूस जैसी चीजें बच्चों के लिए बिल्कुल ठीक नहीं हैं। इनमें पोषण नहीं होता, बल्कि ये बच्चों के पाचन और स्वास्थ्य को बिगाड़ सकती हैं। सलाह दी गई है कि बच्चे को घर का बना ताज़ा और सादा खाना ही दिया जाए।

अंडा पर फिर चर्चा

दरअसल, यह पहली बार नहीं है जब अंडा बच्चों के पोषण के लिए सुझाया गया हो। इससे पहले भी आंगनवाड़ी केंद्रों में अंडा देने का प्रस्ताव आया था, लेकिन धार्मिक और सामाजिक कारणों से इसका विरोध हुआ और सरकार को यह फैसला वापस लेना पड़ा। इस बार विभाग ने साफ किया है कि अंडा, मछली और मांस खिलाने की सलाह केवल उन परिवारों के लिए है जो मांसाहारी हैं। आंगनवाड़ी केंद्रों में फिलहाल इन चीजों की सप्लाई की कोई योजना नहीं है।

माता-पिता के लिए सलाह

अगर बच्चा छह महीने का हो जाए, तो मां के दूध के साथ हल्का घर का खाना शुरू करें। मसाले, नमक और चीनी कम रखें। बच्चे को प्यार, साफ-सफाई और पौष्टिक भोजन दें, यही उसके अच्छे भविष्य की असली शुरुआत है।

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