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अब SLR और ASLR को भी मिलेंगे मजिस्ट्रेट के अधिकार, राजस्व विभाग ने जारी किया आदेश; तहसील स्तर पर प्रशासनिक काम होंगे और आसानd

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Published On: 27 October 2025

MP सरकार ने राजस्व विभाग के अधिकारियों को बड़ी प्रशासनिक ताकत दे दी है। अब अधीक्षक भू-अभिलेख (SLR) और सहायक अधीक्षक भू-अभिलेख (ASLR) को भी कार्यपालिक मजिस्ट्रेट यानी Executive Magistrate के अधिकार मिल गए हैं। राजस्व विभाग ने सभी कलेक्टरों को इस बारे में पत्र भेजकर कहा है कि अब ये अधिकारी न केवल जमीन से जुड़े मामले देखेंगे, बल्कि मजिस्ट्रियल कामकाज भी संभाल सकेंगे।

नायब तहसीलदार में हुआ विलय

दरअसल, यह फैसला उसी प्रक्रिया का हिस्सा है जो सितंबर 2025 में शुरू हुई थी। उस समय सरकार ने आदेश जारी कर दिया था कि SLR को तहसीलदार और ASLR को नायब तहसीलदार के पदनाम में मिला दिया जाएगा। अब जब इन्हें मजिस्ट्रेट के अधिकार भी मिल गए हैं, तो ये अधिकारी न्यायिक और प्रशासनिक दोनों जिम्मेदारियां निभाएंगे। राजस्व विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, इस आदेश के बाद प्रदेश में अब 2278 अधिकारी ऐसे हो गए हैं जो रेवेन्यू कोर्ट और मजिस्ट्रेट से जुड़े मामलों को संभाल सकते हैं। इससे लंबित मामलों के निपटारे में तेजी आएगी और गांव व तहसील स्तर पर लोगों के काम जल्दी निपटेंगे। जानकारी के अनुसार, इस फैसले को 3 जून को पचमढ़ी में हुई कैबिनेट बैठक में मंजूरी दी गई थी।

नया सेटअप

विभाग ने 23 अक्टूबर को जो आदेश जारी किया है, उसके मुताबिक अब प्रदेश में तहसीलदार के 754 पद हो गए हैं। पहले अधीक्षक भू-अभिलेख के 144 पद और तहसीलदार के 610 पद थे, जिन्हें मर्ज कर दिया गया। इसी तरह ASLR और नायब तहसीलदार के पद भी मिलाकर अब 1524 पद बना दिए गए हैं।

पदोन्नति और भर्ती की नई व्यवस्था

सरकार ने यह भी साफ किया है कि अब सहायक अधीक्षक भू-अभिलेख के पदों पर सीधी भर्ती नहीं होगी। जैसे-जैसे ये पद खाली होंगे, उन्हें नायब तहसीलदार के कैडर में जोड़ा जाएगा।
साथ ही, राजस्व निरीक्षकों की पदोन्नति प्रक्रिया भी पहले की तरह जारी रहेगी, लेकिन भविष्य में यह नायब तहसीलदार भर्ती नियम 2011 के अनुसार की जाएगी।

क्यों अहम है यह फैसला

इस कदम से तहसील और ब्लॉक स्तर पर प्रशासनिक मशीनरी को और मजबूती मिलेगी। पहले कई छोटे मामलों में लोगों को SDM या कलेक्टर दफ्तर तक जाना पड़ता था, अब SLR और ASLR के पास ही मामले सुलझ सकेंगे। सरकार को उम्मीद है कि इससे गांवों में प्रशासनिक कामकाज की रफ्तार बढ़ेगी और रेवेन्यू कोर्ट का बोझ घटेगा।

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