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मोहन सरकार का दोहरा फायदा, किसानों को बड़ी राहत; अब जून 2026 तक मिलेगा जीरो ब्याज पर फसल ऋण

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Published On: 27 October 2025

MP में किसानों के लिए अच्छी खबर आई है। सहकारिता विभाग ने साफ कर दिया है कि शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर फसल ऋण देने की योजना फिलहाल बंद नहीं होगी। मोहन यादव कैबिनेट ने तीन दिन पहले इस योजना को जून 2026 तक जारी रखने की मंजूरी दी है। आदेश जारी होते ही लाखों किसानों के चेहरे पर राहत लौट आई है। राज्य सरकार ने तय किया है कि सहकारी बैंकों और प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों (पैक्स) के माध्यम से किसानों को अल्पावधि फसल ऋण जीरो ब्याज दर पर मिलेगा।
यह सुविधा खरीफ 2025 और रबी 2025-26 सीजन दोनों के लिए लागू रहेगी।

खरीफ फसलों के लिए ऋण चुकाने की अंतिम तिथि 28 मार्च 2026 रखी गई है। रबी फसलों के लिए यह तारीख 15 जून 2026 तय की गई है। जो किसान समय पर ऋण चुका देंगे, उन्हें न सिर्फ 1.5 प्रतिशत ब्याज अनुदान, बल्कि अतिरिक्त 4 प्रतिशत प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी। यानी, जो किसान समय पर किस्तें भरेंगे, उन्हें ब्याज की जगह इनाम मिलेगा।

जनजातीय किसानों के लिए नई सौगात

इधर, जनजातीय कार्य विभाग ने भी किसानों के लिए बड़ा फैसला लिया है। प्रदेश के चार संभागों के 16 जिलों में रहने वाले वन पट्टाधारी किसानों को सब्जी उत्पादन के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत अनुदान दिया जाएगा। यह अनुदान प्रति हेक्टेयर लागत का 90 प्रतिशत तक हो सकता है यानी अगर कोई किसान एक एकड़ में सब्जी बोएगा, तो उसकी पूरी लागत सरकार उठाएगी, किसान को बस थोड़ी सी राशि लगानी होगी।

इन जिलों के किसानों को मिलेगा लाभ

यह योजना खास तौर पर नर्मदापुरम, जबलपुर, शहडोल और भोपाल संभागों के जिलों के लिए है। इसमें नर्मदापुरम, बैतूल, हरदा, मंडला, सिवनी, छिंदवाड़ा, कटनी, नरसिंहपुर, डिंडोरी, बालाघाट, शहडोल, उमरिया, अनूपपुर, भोपाल और सीहोर जिले शामिल हैं, खासकर कोलार बांध क्षेत्र के आसपास के किसान।

कौन सी फसलें होंगी शामिल

इन किसानों को विशेषज्ञों की सलाह पर उच्च मूल्य वाली सब्जी फसलों जैसे टमाटर, लौकी, करेला, फूलगोभी, शिमला मिर्च, भिंडी, बैंगन, ब्रोकली, गाजर, मूली, मटर और सहजन (मुनगा) जैसी फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। सरकार का कहना है कि इन योजनाओं का मकसद सिर्फ फसल उत्पादन बढ़ाना नहीं, बल्कि किसानों की आय दोगुनी करना है।
फसल ऋण योजना से किसान कर्जमुक्त होकर खेती में निवेश बढ़ा सकेंगे, जबकि सब्जी अनुदान से आदिवासी इलाकों में रोजगार और पोषण सुरक्षा दोनों को बढ़ावा मिलेगा। राज्य सरकार के मुताबिक, हम चाहते हैं कि किसान सिर्फ मेहनत नहीं करें, बल्कि उसका सही दाम भी पाए।

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