देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (DAVV) की गड़बड़ियों से परेशान 139 बीएड छात्रों ने आखिरकार हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। छात्रों की ओर से अधिवक्ता संयम जैन ने इंदौर खंडपीठ में रिट याचिका दाखिल की है। याचिका में विश्वविद्यालय पर परीक्षा, मूल्यांकन और परिणाम घोषित करने में भारी लापरवाही और मनमानी के आरोप लगाए गए हैं। छात्रों का कहना है कि सत्र 2020–21 और 2021–22 के दौरान कई बच्चों को बिना किसी कारण शून्य अंक दे दिए गए। कुछ छात्रों के रिजल्ट रोक दिए गए, और कई को ATKT परीक्षा देने का अवसर ही नहीं मिला। विद्यार्थियों ने बताया कि उन्होंने कई बार उच्च शिक्षा विभाग और यूनिवर्सिटी प्रशासन को लिखित शिकायतें दीं, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।
याचिकाकर्ता छात्रा पुष्पा ने बतौर प्रतिनिधि याचिका में अदालत से गुहार लगाई है कि विश्वविद्यालय को तुरंत एक विशेष ATKT परीक्षा आयोजित करने के निर्देश दिए जाएं। साथ ही जिन छात्रों के परिणाम रोक दिए गए हैं, उन्हें तुरंत घोषित किया जाए और उत्तर पुस्तिकाओं का पुनर्मूल्यांकन कराया जाए। छात्रों ने यह भी कहा कि यूनिवर्सिटी की यह कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का खुला उल्लंघन है।
मेहनत पर पानी फेरा
छात्रों का कहना है कि उन्होंने दो साल तक मेहनत से पढ़ाई की, लेकिन DAVV की लापरवाही ने उनका करियर दांव पर लगा दिया। जिन विषयों में उन्होंने अच्छे से परीक्षा दी, उनमें शून्य अंक दे दिए गए। हमने कॉपी रिव्यू के लिए आवेदन किया, लेकिन किसी ने जवाब तक नहीं दिया। जयस छात्र संगठन के इंदौर जिला अध्यक्ष पवन अहिरवार ने कहा कि DAVV की मनमानी अब हद पार कर चुकी है। उन्होंने कहा कि सैकड़ों छात्रों का भविष्य दांव पर है, और यूनिवर्सिटी चुप बैठी है। हाईकोर्ट से अब हमें न्याय की उम्मीद है। विश्वविद्यालय को अपनी गलती सुधारनी ही होगी।
छात्रों की मांग
याचिका में कहा गया है कि विश्वविद्यालय को परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता लानी चाहिए। छात्र चाहते हैं कि परिणामों से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक की जाए और जो भी अधिकारी इस गड़बड़ी में शामिल हैं, उन पर कार्रवाई हो। अधिवक्ता संयम जैन के मुताबिक, मामले की प्राथमिक सुनवाई जल्द होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि “यह सिर्फ 139 छात्रों की नहीं, बल्कि सैकड़ों बीएड विद्यार्थियों की आवाज है, जिनका भविष्य विश्वविद्यालय की अनदेखी की भेंट चढ़ गया है।”
