,

ग्वालियर में कचरा प्रबंधन पर हाईकोर्ट सख्त, निगम की सुस्ती पर फटकार; कहा अब और देरी नहीं चलेगी

Author Picture
Published On: 1 November 2025

ग्वालियर  शहर की गंदगी और केदारपुर लैंडफिल साइट की बदहाल स्थिति को लेकर दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को ग्वालियर खंडपीठ में सुनवाई हुई। अदालत ने नगर निगम की लापरवाही पर नाराजगी जताई और साफ कहा कि अब देरी या बहानेबाज़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कोर्ट ने कंसल्टेंट कंपनी के प्रतिनिधि को अगली सुनवाई में तलब करने के आदेश दिए हैं।

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि ग्वालियर शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह लचर है। सेनिटरी लैंडफिल, बायोगैस और वेस्ट टू एनर्जी प्लांट की फाइलों में बस योजनाएं बनती रही हैं, लेकिन ज़मीनी काम दिखाई नहीं दे रहा। कोर्ट ने टिप्पणी की, “इंदौर ने कैसे सफाई में देश में नाम कमाया, ग्वालियर को भी वहीं से सीखना चाहिए।”

परियोजनाओं की रफ्तार पर सवाल

न्यायालय ने निर्देश दिया कि नगर निगम के तकनीकी अफसरों और अमिकस क्यूरी अधिवक्ताओं को इंदौर भेजा जाए ताकि वे वहां का मॉडल देखकर ग्वालियर में लागू कर सकें। इस दौरे का खर्च राज्य सरकार और निगम दोनों मिलकर उठाएंगे।

सुनवाई के दौरान नगर निगम आयुक्त, डिप्टी कमिश्नर और स्वच्छ भारत मिशन के डायरेक्टर मौजूद थे। कोर्ट को बताया गया कि लैंडफिल और नई परियोजनाओं से जुड़ी कई प्रक्रियाएं अब भी अटकी हैं। निगम का कहना था कि अगले एक साल में केदारपुर में जमा पुराना कचरा पूरी तरह हट जाएगा। इस पर अदालत ने कहा कि बहुत वक्त निकल गया, अब नतीजा जमीन पर दिखना चाहिए। अगली सुनवाई की तारीख 2 दिसंबर तय की गई है।

बायोगैस और वेस्ट टू एनर्जी प्लांट पर फटकार

कोर्ट को यह भी बताया गया कि कम्प्रेस्ड बायोगैस स्टेशन के लिए तीन बार टेंडर निकाले गए लेकिन तीनों असफल रहे। इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि तीसरी कॉल के दस्तावेज तक अदालत के सामने नहीं रखे गए हैं। कोर्ट ने साफ निर्देश दिया कि नई टेंडर प्रक्रिया तुरंत शुरू की जाए और वर्क ऑर्डर तक काम आगे बढ़े, सिर्फ कागज़ी कार्रवाई न हो।वेस्ट टू एनर्जी परियोजना पर भी कोर्ट ने सख्ती दिखाई। बताया गया कि अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इस पर अदालत ने संबंधित कंसल्टेंट को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का आदेश दिया और कहा कि आरएफपी (Request for Proposal) और एग्रीमेंट दस्तावेज़ बिना देरी तैयार किए जाएं।

कोर्ट की चेतावनी

अदालत ने साफ शब्दों में कहा कि यह मामला अब बहुत लंबा खिंच चुका है। कचरा निपटान शहर की सेहत और पर्यावरण दोनों से जुड़ा है, इसलिए अब किसी भी तरह की ढिलाई स्वीकार नहीं होगी। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि लंबित अनुमति प्रक्रिया तुरंत पूरी कराई जाए, ताकि केदारपुर साइट पर काम जल्द शुरू हो सके।

Related News
Home
Web Stories
Instagram
WhatsApp