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जेपी अस्पताल का नया भवन अधूरा, 26 करोड़ की परियोजना वादों में उलझी

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Published On: 1 November 2025

राजधानी भोपाल के जेपी अस्पताल का नया भवन अब सरकारी लापरवाही की एक मिसाल बन गया है। 26 करोड़ की लागत से बनने वाला यह भवन दिसंबर 2024 तक तैयार होना था, लेकिन हकीकत यह है कि चार बार डेडलाइन बढ़ाने के बावजूद भी इमारत अधूरी पड़ी है। डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कुछ दिन पहले अफसरों को निर्देश दिए थे कि भवन में जल्द इलाज शुरू किया जाए, लेकिन स्थिति अब भी जस की तस है। ऊपरी मंजिलों से वायर लटक रहे हैं, ओटी नहीं बनी, कार्डियक यूनिट तो गायब ही कर दी गई।

भवन के ग्राउंड से तीसरी मंजिल तक सिविल वर्क पूरा जरूर हुआ है, लेकिन फर्नीचर, मॉनिटरिंग सिस्टम, ट्रॉमा यूनिट और ओपीडी के उपकरण अब तक नहीं लगे। चौथी मंजिल पर फॉल्स सीलिंग और इलेक्ट्रिकल फिटिंग अधूरी है, जबकि पांचवीं मंजिल की हालत तो और खराब है। दीवारें अधूरी, वायर खुले में लटक रहे हैं और सिविल वर्क आधा-अधूरा पड़ा है।

कार्डियक यूनिट का सपना अधूरा

जेपी अस्पताल के नए भवन का सबसे बड़ा आकर्षण सरकारी कार्डियक सेंटर होना था। यहां 30 बेड का यूनिट और कैथलैब लगाने की योजना थी ताकि गरीब मरीजों को सरकारी अस्पताल में एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी जैसी जांचें मुफ्त मिल सकें, लेकिन अब ये सपना अधूरा रह गया। विभाग ने बिना कारण बताए कार्डियक प्रोजेक्ट ही रद्द कर दिया। टेंडर भी जारी हुआ था, आवेदन आए, फिर फाइल बंद कर दी गई।

मरीजों की जेब पर असर

जेपी अस्पताल भोपाल का सबसे बड़ा जिला अस्पताल है, जहां हर दिन ढाई हजार से ज्यादा मरीज पहुंचते हैं। अब कार्डियक यूनिट न होने से गरीब मरीजों को निजी अस्पतालों में एक से डेढ़ लाख रुपए खर्च कर एंजियोप्लास्टी जैसी जांच करवानी पड़ेगी। सरकार की मुफ्त इलाज की बात फिलहाल अधूरे भवन की दीवारों में अटकी नजर आ रही है।

  • ग्राउंड फ्लोर: 30 बेड की इमरजेंसी तैयार, लेकिन मॉनिटरिंग इक्विपमेंट नहीं लगे।
  • पहली मंजिल: 41 बेड हैं, मगर फर्नीचर और कनेक्टिव ब्रिज अधूरा।
  • दूसरी-तीसरी मंजिल: मेल-फीमेल वार्ड तैयार, पर मॉड्यूलर ओटी का काम शुरू तक नहीं।
  • चौथी मंजिल: सीलिंग और वायरिंग अधूरी।
  • पांचवीं मंजिल: ब्लड बैंक और 33 बेड का वार्ड अधर में लटका।

दबाव में एजेंसी

अस्पताल स्टाफ के मुताबिक, निर्माण एजेंसी दबाव बना रही है कि अस्पताल अधूरा भवन अपने नाम ले ले ताकि उनका बिल पास हो जाए, लेकिन प्रबंधन ने साफ कर दिया कि जब तक बिल्डिंग पूरी तरह सुरक्षित नहीं होती, हैंडओवर नहीं लेंगे। अब बचे हुए कामों के लिए नए कोटेशन तैयार हो रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि अभी ग्राउंड, फर्स्ट और सेकंड फ्लोर पर इलाज शुरू करने की योजना है। बाकी मंजिलों पर काम पूरा होने के बाद धीरे-धीरे विस्तार किया जाएगा। हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है, “जहां इलाज चल रहा हो, वहां कंस्ट्रक्शन का काम जारी रखना मरीजों के लिए खतरा बन सकता है।

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