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भोपाल नगर निगम में प्रतिनियुक्ति पर आए अफसरों की मुश्किलें बढ़ीं, कई अधिकारी मूल विभाग में लौटेंगे

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Published On: 7 November 2025

भोपाल नगर निगम में डेप्युटेशन यानी प्रतिनियुक्ति पर काम कर रहे अफसरों पर अब गाज गिरने वाली है। निगम प्रशासन ने इन सभी अफसरों की लिस्ट तैयार करना शुरू कर दिया है ताकि जिन्हें जरूरत नहीं है, उन्हें उनके मूल विभाग में वापस भेजा जा सके। हाल ही में हुई नगर निगम परिषद की बैठक में इस मुद्दे ने तूल पकड़ा था, जिसके बाद निगम प्रशासन हरकत में आ गया है।

बैठक में उठा था बड़ा सवाल

दरअसल, 30 अक्टूबर को हुई परिषद की बैठक में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों के पार्षद इस मुद्दे पर एक सुर में नजर आए। कांग्रेस पार्षद अजीज उद्दीन ने सदन में सवाल उठाया कि जिन अधिकारियों का ट्रांसफर तीन महीने पहले हो चुका है, उन्हें अब तक रिलीव क्यों नहीं किया गया? उन्होंने विशेष रूप से अपर आयुक्त देवेंद्र सिंह चौहान और एकता अग्रवाल का नाम लेते हुए कहा कि आदेश के बावजूद वे अभी भी निगम में पदस्थ हैं, जो नियमों के खिलाफ है।

एमआईसी मेंबर जितेंद्र शुक्ला ने भी अजीज उद्दीन की बात का समर्थन किया। इसके बाद दोनों पार्टियों के पार्षदों ने एकजुट होकर सवाल उठाया कि भोपाल नगर निगम क्या धर्मशाला है, जहां हर कोई रहना चाहता है? यहां जरूरत से ज्यादा अपर आयुक्त हो गए हैं। सदन में यह भी सुझाव दिया गया कि निगम में प्रतिनियुक्ति की व्यवस्था पूरी तरह खत्म की जाए, ताकि विभाग में स्थायी अफसरों को ही जिम्मेदारी मिले।

कमिश्नर को मिला निर्देश

बैठक के बाद नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने कमिश्नर संस्कृति जैन को निर्देश दिया कि प्रतिनियुक्ति पर आए अफसरों की पूरी व्यवस्था पर पुनर्विचार किया जाए। अध्यक्ष ने साफ कहा कि सदन की इच्छा है कि ऐसे अधिकारियों को तत्काल रिलीव किया जाए जो नियमों के विपरीत निगम में पदस्थ हैं। निर्देश के बाद अपर आयुक्त देवेंद्र सिंह चौहान को रिलीव कर दिया गया है, जबकि एकता अग्रवाल को लेकर प्रक्रिया चल रही है। अब निगम अन्य अधिकारियों की भी सूची तैयार कर रहा है, ताकि आगे कार्रवाई की जा सके।

पशुपालन विभाग के अफसर पर भी सवाल

इस बीच पशुपालन विभाग से डेप्युटेशन पर आए डॉ. पी.पी. सिंह पर भी सवाल उठे हैं। शिकायत के अनुसार, उनकी मूल पोस्टिंग पशु रोग प्रयोगशाला (पशुपालन विभाग) में है, लेकिन उन्हें कुछ समय के लिए नसबंदी सत्यापन कार्यक्रम के लिए निगम में भेजा गया था।

हालांकि, निगम ने दो महीने पहले ही उनकी ड्यूटी खत्म कर दी थी, फिर भी डॉ. सिंह अब भी निगम दफ्तर में पदस्थ हैं। इसे लेकर पार्षदों ने नाराजगी जताई और कहा कि यह विभागीय नियमों का उल्लंघन है। सूत्रों के मुताबिक, इस तरह की पदस्थापना से वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के खतरे बढ़ जाते हैं, क्योंकि अधिकारी न तो अपने मूल विभाग की जिम्मेदारी निभाते हैं, न ही निगम में जवाबदेही तय होती है।

निगम अध्यक्ष ने दिए सख्त संकेत

निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने कहा कि प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारियों की समीक्षा चल रही है। उन्होंने साफ चेतावनी दी जो अधिकारी नियमों के विरुद्ध पदस्थ हैं, उन्हें हटाया जाएगा। जिनकी आवश्यकता नहीं है, उन्हें उनके विभाग में भेजा जाएगा। अध्यक्ष ने यह भी कहा कि निगम परिषद की इच्छा है कि आने वाले समय में डेप्युटेशन की व्यवस्था पूरी तरह खत्म कर दी जाए, ताकि प्रशासनिक पारदर्शिता बनी रहे और अधिकारियों की जवाबदेही तय हो सके।

क्या खत्म होगी डेप्युटेशन की परंपरा?

नगर निगम में लंबे समय से कई विभागों के अफसर डेप्युटेशन पर पदस्थ हैं। सूत्रों का कहना है कि कई अधिकारी सालों से निगम में ही जमे हुए हैं और मूल विभाग में लौटना नहीं चाहते। अब परिषद की सख्ती के बाद यह व्यवस्था पूरी तरह बदल सकती है। अगर कार्रवाई जारी रही, तो आने वाले हफ्तों में कई अफसरों को निगम छोड़कर अपने मूल विभागों में लौटना पड़ सकता है। फिलहाल, निगम प्रशासन इस दिशा में तैयारी शुरू कर चुका है और लिस्ट लगभग तैयार मानी जा रही है।

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