त्योहारों के सीजन में रेलवे की लापरवाही और भीड़भाड़ पर सोशल मीडिया पर उठे सवाल अब कानूनी झमेले में बदल गए हैं। भोपाल की अपराध शाखा ने भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के नेता सुनील अस्तेय के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। आरोप है कि उन्होंने ट्विटर (अब X) पर केंद्र सरकार और रेलवे को लेकर भ्रामक जानकारी फैलाई और इससे “सरकारी प्रतिष्ठा को नुकसान” पहुंचा।
मामला तब शुरू हुआ जब सुनील अस्तेय ने अपने एक्स हैंडल @SunilAstay से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को टैग करते हुए पोस्ट किया कि दीपावली और छठ पूजा पर बिहार के लोगों के लिए 12 हजार स्पेशल ट्रेनें चलाने का वादा किया गया था, लेकिन अब सवाल यह है कि वे ट्रेनें कहां हैं?
देखें पोस्ट
अस्तेय ने इस पोस्ट के साथ मुंबई के कल्याण रेलवे स्टेशन का एक वीडियो भी साझा किया था, जिसमें हजारों यात्री प्लेटफॉर्म पर ठसाठस भीड़ में खड़े नजर आ रहे हैं। धूप में पसीने से तरबतर यात्री ट्रेन में चढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन डिब्बों में पहले से ही तिल रखने की जगह नहीं है। वीडियो के साथ अस्तेय ने लिखा, “यह नज़ारा दिखाता है कि यूपी-बिहार के लोग किस तरह अपनी जान जोखिम में डालकर घर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। सरकार ने वादा तो किया, लेकिन हकीकत कुछ और है।”
भारतीय रेल और बिहार सरकार की सच्चाई देखिए — गरीब परिवार अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ तपती धूप में खड़े हैं, लेकिन जनरल टिकट वालों को ट्रेन में चढ़ने तक नहीं दिया जा रहा।
न कोई शेड, न पानी, न इंसानियत!जो सरकारें सालों से बिहार पर राज कर रही हैं, उन्होंने राज्य को कितनी बदहाली… pic.twitter.com/iYKrxmQLUI
— Sunil Astay (@SunilAstay) October 20, 2025
उनकी यह पोस्ट सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई। कई लोगों ने उनका समर्थन किया, तो कई ने कहा कि यह सरकार की छवि खराब करने की कोशिश है। इसी के बाद रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने मामला दर्ज करने की सिफारिश की।
हुई एफआईआर
आरपीएफ के उपनिरीक्षक प्रभुनाथ तिवारी ने भोपाल क्राइम ब्रांच में रिपोर्ट दी कि अस्तेय का ट्वीट “भ्रामक” है और इससे रेलवे की छवि खराब होती है। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि त्योहारों के समय करोड़ों लोग रेल सेवाओं पर निर्भर रहते हैं, ऐसे में झूठी या आधी-अधूरी जानकारी फैलाना सार्वजनिक शांति को भंग कर सकता है। शिकायत में अस्तेय के चार ट्वीट और उनके स्क्रीनशॉट भी जोड़े गए हैं। आरपीएफ का कहना है कि यह पोस्ट एक “सुनियोजित प्रयास” लगती है, जिसका मकसद सरकार और रेलवे के बीच जनता का भरोसा तोड़ना है।
एफआईआर भारतीय न्याय संहिता की धारा 353 और 356 बीएनएस तथा आईटी एक्ट की धारा 66(D) के तहत दर्ज की गई है। इसमें कहा गया है कि आरोपी ने सरकार और जनता के बीच वैमनस्य और अविश्वास फैलाने की कोशिश की। हालांकि, आरपीएफ कमांडेंट डॉ. अभिषेक का कहना है कि उन्हें इस एफआईआर की कोई जानकारी नहीं है।
सुनील अस्तेय का पलटवार
एफआईआर के बाद अस्तेय ने बयान जारी करते हुए कहा, “अगर जनता की आवाज उठाने पर सजा मिलती है, तो मैं फांसी के फंदे पर चढ़ने को तैयार हूं। मैंने सिर्फ वही दिखाया जो हकीकत थी। दीपावली और छठ के मौके पर देशभर के मजदूर वर्ग को ट्रेन में जगह नहीं मिल रही थी, लोग प्लेटफॉर्म पर रातें काट रहे थे।” उन्होंने आगे कहा, “सरकार को शर्म आनी चाहिए कि सच दिखाने वालों पर केस दर्ज कर रही है। पुलिस मेरे गांव तक पहुंच गई, लोगों को धमकाया जा रहा है और पोस्ट डिलीट करने का दबाव बनाया गया।” अस्तेय ने यह भी कहा कि वे अदालत में अपनी बात रखेंगे और जनता को सच्चाई बताएंगे।
मैंने कहा था और आज फिर दोहराता हूँ — “अगर संवैधानिक दायरे में रहकर जनता की आवाज़ उठाना भी अपराध है, तो मैं भगत सिंह, बाबा साहब और चंद्रशेखर आज़ाद की तरह मरना पसंद करूँगा,लेकिन झुकूँगा नहीं। @narendramodi मोदी सरकार चाहे तो मुझे जेल में न डाले, बल्कि सीधा फाँसी दे दे।”
हम उस… pic.twitter.com/WuT6wCtVut
— Sunil Astay (@SunilAstay) November 8, 2025
