सरकारी योजनाएं अगर सही हाथों तक पहुंच जाएं, तो वो जिंदगी बदल देती हैं। इसका ताज़ा उदाहरण है भोपाल जिले की जनजातीय बहुल ग्राम पंचायत भानपुर केकड़िया की कालीबाई, जिन्होंने ‘एक बगिया मां के नाम’ योजना को अपनाकर अपनी जमीन और किस्मत दोनों बदल दीं। कालीबाई जो पहले सामान्य खेती करती थीं, अब अपनी एक एकड़ ज़मीन में ड्रैगन फ्रूट के 100 पौधों की बगिया खड़ी कर चुकी हैं। उनके मुताबिक, बाजार में ड्रैगन फ्रूट की बढ़ती मांग देखकर उन्होंने यह फसल लगाने का फैसला किया। साथ ही उन्होंने फूलों और अन्य फलों की खेती भी शुरू की है, ताकि जब तक ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन शुरू न हो, तब तक उनकी आमदनी बनी रहे।
लगाए 2 पौधे
उन्होंने बताया कि शुरुआत में उन्होंने केवल दो पौधे प्रयोग के तौर पर लगाए थे। “दोनों पौधों ने उम्मीद से बढ़िया फल दिए, तभी सोचा था कि अब पूरी जमीन पर बगिया ही लगाऊंगी,” कालीबाई मुस्कराते हुए बताती हैं। मनरेगा और ग्रामीण विकास विभाग की मदद से उन्हें 4.50 लाख रुपये की राशि मिली, जिससे उन्होंने खेत में 120×120 मीटर का तालाब बनवाया। अब यह तालाब उनकी बगिया को सालभर पानी देगा। वहीं ‘एक बगिया मां के नाम’ योजना से उन्हें 2.87 लाख रुपये पौधरोपण, फेंसिंग और खेती के कामों के लिए मिले।
गांव के लिए मिसाल
कालीबाई की मेहनत अब पूरे गांव के लिए मिसाल बन गई है। जहां पहले लोग सिर्फ पारंपरिक फसलों पर निर्भर थे, वहीं अब कई महिलाएं उनसे प्रेरणा लेकर बागवानी और फल खेती की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हरित विकास की सोच को यह योजना ज़मीन पर साकार करती दिख रही है। ग्रामीण महिलाओं को न सिर्फ स्थायी आजीविका मिल रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी यह कदम अहम साबित हो रहा है।
धरती आभा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती और जनजातीय गौरव दिवस के मौके पर भानपुर केकड़िया की यह कहानी बताती है कि अगर हौसला हो तो सरकारी योजना सिर्फ कागज़ों में नहीं, खेतों में भी खिल सकती है।
कालीबाई की जुबान में ही इस कहानी का सार है, “पहले खेत सूखा रहता था, अब मेरी बगिया में हरियाली है। अब यही मेरी दुनिया है, यही मेरा भविष्य।”
