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केरवा हादसे के बाद बड़ा फैसला, MP में सभी डैम के गेट और फुट ओवर ब्रिज की होगी जांच; 5 करोड़ से होगा अपग्रेड

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Published On: 12 November 2025

भोपाल में केरवा डैम के फुट ओवर ब्रिज का हिस्सा गिरने की घटना ने सरकार को झकझोर दिया है। भले ही हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन जल संसाधन विभाग अब पूरे प्रदेश में डैम सुरक्षा को लेकर सख्त कदम उठा रहा है। जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने बुधवार को खुद मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया और अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। निरीक्षण के बाद उन्होंने स्पष्ट कहा कि ऐसी घटना दोबारा कहीं नहीं होनी चाहिए। हर बांध की तकनीकी जांच कर रिपोर्ट बनाई जाए।

मंत्री ने बताया कि प्रदेश के सभी पुराने बांधों के गेट और फुट ओवर ब्रिज की फिजिकल जांच की जाएगी। खास तौर पर 40 साल से पुराने बांधों को प्राथमिकता में रखा गया है। उन्होंने कहा कि केरवा डैम की तरह किसी और जगह हादसा न हो, इसके लिए हमने फैसला लिया है कि सभी डैमों के गेट और ब्रिज को अपग्रेड किया जाएगा।

50 साल है पुराना

केरवा डैम का फुट ओवर ब्रिज करीब 50 साल पुराना है, जिसका निर्माण 1975 में शुरू होकर 1980 में पूरा हुआ था। अब सरकार इसे 5 करोड़ रुपए की लागत से नए सिरे से बनाने जा रही है। मंत्री सिलावट ने कहा कि ब्रिज के सुधार का डीपीआर एक हफ्ते में तैयार कर लिया जाएगा और पांच महीने में सभी स्लैब नए सिरे से बन जाएंगे। इसके अलावा, डैम पर लगे आठ ऑटोमेटिक गेट जो चार दशक पुराने हैं, उन्हें भी बदला जाएगा।

बनाई गई 3 कैटेगरी

सिलावट ने यह भी बताया कि राज्य के दसों बेसिनों में स्थित डैमों की जांच तीन कैटेगरी A, B और C में की जाएगी। ए श्रेणी में सबसे पुराने और ज्यादा जोखिम वाले बांध होंगे, जिनका अपग्रेडेशन तुरंत किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि रिपोर्ट तैयार करते वक्त डैम के स्ट्रक्चर, गेट्स की स्थिति और फुट ब्रिज की मजबूती की बारीकी से जांच की जाए।राज्य में कई बांध ऐसे हैं जो चार दशक पार कर चुके हैं जैसे गांधी सागर डैम (1960), भदभदा डैम (1965), तवा डैम (1978) और बारना डैम (1978)। वहीं बरगी, संजय सरोवर जैसे बांध 25 साल से ज्यादा पुराने हैं।

मंगलवार को हुआ हादसा

दरअसल, मंगलवार को केरवा डैम पर बना फुट ओवर ब्रिज अचानक धराशायी हो गया था। सौभाग्य से ब्रिज पर उस वक्त कोई मौजूद नहीं था। अब यह हादसा प्रदेश में डैम सुरक्षा के लिए एक चेतावनी बन गया है और सरकार ने तय कर लिया है कि अब कोई भी पुराना स्ट्रक्चर बिना जांच के नहीं छोड़ा जाएगा।

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