बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे जैसे ही साफ हुए, भाजपा और एनडीए समर्थकों में खुशी का माहौल फट पड़ा। दोपहर होते-होते जश्न का शोर पूरे शहर में गूंजने लगा। कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे को मिठाइयाँ खिलाते हुए जय स्तंभ चौराहे से भाजपा कार्यालय तक विजय रैली निकाली। ढोल की आवाज, पटाखों की चमक और पार्टी के झंडों से सड़कों का माहौल चुनावी रंग में रंग गया।
रीवा में डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल सीधे भाजपा कार्यालय पहुंचे, जहां पहले से ही उत्साह से भरे कार्यकर्ता जुटे थे। यहां जमकर मिठाइयाँ बांटी गईं, आतिशबाजी चली और हर चेहरा जीत की खुशी में दमकता नजर आया। कुछ ही मिनटों में कार्यालय का माहौल मिनी विजय चौक जैसा हो गया—ढोल पर थिरकते कार्यकर्ता, जोरदार नारे और जीत के गीत पूरे जोश में गूंजते रहे।
कार्यकर्ताओं में उत्साह
कार्यालय के बाहर तो मानो मेले जैसा नजारा था। कार्यकर्ताओं ने टोली बनाकर नृत्य शुरू कर दिया। पार्टी के झंडे हवा में लहराते रहे और हर तरफ से एक ही आवाज निकल रही थी, एनडीए की जीत! कई वरिष्ठ पदाधिकारी भी रैली में शामिल हुए और उन्होंने इस जीत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों और नेतृत्व का परिणाम बताया। कार्यकर्ताओं का कहना था कि बिहार की जनता ने साफ संदेश दे दिया है कि विकास, स्थिरता और सुशासन ही उनकी प्राथमिकता है।
राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि यह जीत सिर्फ एक चुनावी परिणाम नहीं, बल्कि पार्टी की विचारधारा और जनता के बीच किए गए निरंतर काम का फल है। उन्होंने कहा कि जनसेवा को प्राथमिकता देने की वजह से ही लोगों ने भाजपा और एनडीए पर भरोसा दोबारा जताया है।
जश्न की गूंज
भाजपा जिलाध्यक्ष वीरेंद्र गुप्ता ने भी इस जश्न में शामिल होकर कहा कि बिहार ने पुराने ‘गुंडाराज’ और ‘लालूराज’ को पूरी तरह नकार दिया है। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश के CM मोहन यादव ने भी बिहार में चुनाव प्रचार के दौरान अहम भूमिका निभाई थी और इस जीत में उनका योगदान साफ दिखता है। गुप्ता ने दावा किया कि केंद्र और बिहार की एनडीए सरकारें मिलकर राज्य को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगी। बिहार की जीत का जोश रीवा तक महसूस किया गया और शुक्रवार को पूरा शहर भाजपा के नारों और जश्न की गूंज में डूबा रहा।
