इंदौर का MY अस्पताल एक बार फिर सवालों के घेरे में है। कुछ दिन पहले तक जिस “चूहा कांड” को लेकर शहर में हंगामा मचा हुआ था, वो मामला पूरी तरह थमा भी नहीं था कि अब एक्सपायर दवाई और बॉटल कांड ने पूरे स्वास्थ्य तंत्र की नींद उड़ा दी है। अस्पताल में मरीज की नसों में एक्सपायर बॉटल चढ़ा दी गई ये सुनते ही लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। लोगों का कहना है कि ये लापरवाही नहीं, ये तो सीधे-सीधे मरीज की जान से खिलवाड़ है। जिस अस्पताल पर भरोसा कर लोग अपना इलाज कराने आते हैं, वहीं अगर चूहे काटें और एक्सपायर दवाइयां चढ़ाई जाएं, तो फिर मरीज किस पर भरोसा करे?
अस्पताल प्रबंधन हर बार की तरह स्पष्टीकरण देने में जुटा है, लेकिन असल सवाल वहीं खड़ा है। जिम्मेदारों पर कार्रवाई कब होगी और कब तक आम लोगों को ऐसे हादसों का शिकार होना पड़ेगा?
तस्वीरें वायरल
एमवाय अस्पताल में पहले चूहों ने मरीजों के हाथ-पैर तक कुतर दिए थे। तस्वीरें वायरल हुईं, हंगामा मचा, जांच की बातें हुईं… पर हालात में खास सुधार नहीं दिखा और अब ये नया कांड बताता है कि अंदरूनी सिस्टम कितना ढीला और लापरवाह हो चुका है। डॉक्टरों की लापरवाही, स्टाफ की मनमानी और सरकारी निगरानी की कमी तीनों मिलकर मरीजों के लिए इलाज को जोखिम में बदल दे रहे हैं। एक्सपायर दवाइयों का इस्तेमाल किसी भी अस्पताल में ‘जीरो टॉलरेंस’ श्रेणी की गलती मानी जाती है, लेकिन एमवाय जैसे बड़े अस्पताल में ऐसा होना सीधे-सीधे गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।
प्रशासन पर दबाव
लोग सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि ये इलाज नहीं, ये हत्या का प्रयास है। एमवाय अस्पताल में कांड खत्म ही नहीं होते। सरकार सिर्फ कागजों में सख्ती दिखाती है, जमीनी स्तर पर हालात जस के तस हैं। अब प्रशासन पर दबाव है कि जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई करे, वरना जनता का भरोसा पूरी तरह टूट जाएगा। शहर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में लगातार हो रही ऐसी घटनाओं ने ये सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या यहां मरीज सुरक्षित हैं भी या नहीं?
