हरदा में शुक्रवार को MP सरकार के आदिम जाति कल्याण मंत्री कुंअर विजय शाह ने एक ऐसा ऐलान किया, जिसका सीधा असर हजारों आदिवासी परिवारों की जिंदगी पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के करीब 900 वन ग्रामों को जल्दी ही राजस्व ग्राम का दर्जा दिया जाएगा। इससे इन बस्तियों में रहने वाले आदिवासियों को सरकारी योजनाओं और बुनियादी सुविधाओं का हक उसी तरह मिलेगा, जिस तरह बाकी गांवों को मिलता है।
मंत्री शाह के अनुसार, यह कदम ग्रामीण इलाकों के विकास की रफ्तार को और तेज करेगा। उन्होंने कहा कि वन ग्रामों में रहने वाले लोगों को वर्षों से जिन दिक्कतों का सामना करना पड़ा है, उन्हें खत्म करने की दिशा में यह बड़ा सुधार है।
MP देश में पहला राज्य
पत्रकारों से बातचीत में शाह ने दावा किया कि मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है, जो वन अधिकार पट्टे जारी करने के लिए सैटेलाइट इमेज का उपयोग कर रहा है। इसके लिए अमेरिका की एक एजेंसी को 20 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है ताकि 2013 के पहले की जमीनी स्थिति की स्पष्ट तस्वीर उपलब्ध हो सके। उन्होंने बताया कि 5 दिसंबर 2013 से पहले जिन परिवारों का कब्जा था, उनका पुराना रिकॉर्ड सैटेलाइट इमेज से सीधे मिलान किया जाएगा। इससे फर्जी दावों पर रोक लगेगी और वास्तविक पात्रों को ही पट्टा मिल पाएगा।
जुर्माने की रसीद भी होगी सबूत
मंत्री शाह ने आगे बताया कि सिर्फ सैटेलाइट इमेज ही आधार नहीं होगी। स्थानीय लोगों के चार बयान, पुराने खेत-खसरे के निशान और जुर्माने की रसीद भी मान्य सबूत माने जाएंगे।
पट्टा मिलने के बाद आदिवासी परिवार अपनी जमीन पर स्थायी मकान, शौचालय, हैंडपंप और दूसरी बुनियादी सुविधाएं बना सकेंगे, जो अभी तक कानूनी अड़चनों के कारण रुकी हुई थीं।
कांग्रेस पर हमला
चर्चा के दौरान मंत्री शाह कांग्रेस को भी घेरते नजर आए। उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद इतनी सरकारें आईं, लेकिन कांग्रेस ने वन ग्रामों में रहने वाले लोगों के लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने हजारों वनवासी परिवारों को पट्टे दिए हैं और आगे भी यह काम तेजी से होगा। सरकार के इस फैसले को आदिवासी इलाकों में बड़ा बदलाव माना जा रहा है। राजस्व ग्राम बनने के बाद यहां सड़क, बिजली, पानी, स्कूल और स्वास्थ्य सेवाओं की राह भी आसान होगी।
