रीवा के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में हालात इस कदर बिगड़े हुए हैं कि मरीज इलाज कराने आते हैं और निराश होकर घर लौट जाते हैं। अस्पताल की सीटी स्कैन से जुड़ी प्रेशर इंजेक्टर मशीन पिछले करीब एक महीने से खराब पड़ी है। नतीजा यह कि अस्पताल में सीटी एंजियोग्राफी की सुविधा पूरी तरह बंद है। यह वही जांच है जो दिल, दिमाग और नसों से जुड़े गंभीर मरीजों के लिए बेहद जरूरी मानी जाती है। इसके बिना कई मामलों में सही इलाज शुरू ही नहीं हो पाता।
सरकारी अस्पताल में जांच बंद
अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों का कहना है कि जांच नहीं होने के कारण उन्हें मजबूरन शहर के निजी डायग्नोस्टिक सेंटरों में जाना पड़ रहा है जहाँ सामान्य शुल्क से कई गुना अधिक पैसा वसूला जाता है। किसी को घर गिरवी रखने की नौबत आ रही है तो किसी ने इलाज टाल दिया है। सरकारी अस्पताल से उम्मीद लेकर आने वाले मरीजों के लिए यह परेशानी सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि मानसिक बोझ भी बन गई है।
अस्पताल कर्मचारियों का खुलासा
अस्पताल स्टाफ का कहना है कि मशीन एक-दो महीने से दिक्कत दे रही थी, लेकिन समय रहते इसे ठीक नहीं कराया गया। मेंटेनेंस की जिम्मेदारी संभालने वाली हाइट्स कंपनी को कई बार जानकारी दी गई, फिर भी मशीन की मरम्मत शुरू नहीं की गई। मौजूदा स्थिति यह है कि समस्या सिर पर आ गई है और पूरा सिस्टम ठप पड़ा है। अस्पताल अधीक्षक डॉ. अक्षय श्रीवास्तव के अनुसार रोजाना 12 से अधिक मरीज एंजियोग्राफी जांच के लिए आते हैं। मशीन खराब होने के कारण उन्हें वापस लौटाना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि कंपनी को तत्काल सुधार के लिए पत्र भेजा गया है और उम्मीद है कि जल्द मशीन फिर से चालू हो सकेगी, पर मरीजों का कहना है कि “पत्र भेजने से पेट नहीं भरता, हमें इलाज चाहिए।”
प्रेशर इंजेक्टर मशीन खराब
एंजियोग्राफी के लिए प्रेशर इंजेक्टर मशीन जरूरी होती है। यह मशीन शरीर में डाई को तय मात्रा और सही टाइमिंग से इंजेक्ट करती है। इसके बिना रिपोर्ट क्लियर नहीं आती, इसलिए जांच संभव ही नहीं है। मशीन बंद है, इसलिए मरीजों को मजबूर होकर बाहर निजी सेंटरों में 5-10 हजार तक खर्च करना पड़ रहा है। अस्पताल लगातार कंपनी को पत्र भेज रहा है, लेकिन अब तक कार्रवाई शून्य है। उधर मरीज कह रहे हैं कि सरकारी अस्पताल पर भरोसा कर इलाज कराने आए थे, लेकिन महंगे प्राइवेट टेस्ट करवाने पड़ रहे हैं।
