इंदौर और उज्जैन के बीच तेज़ और सुगम यात्रा के लिए बड़ी पहल शुरू हो गई है। एमपीआरडीसी ने पितृ पर्वत से चिंतामन गणेश मंदिर तक नया ग्रीनफील्ड कॉरिडोर बनाने की प्रक्रिया आगे बढ़ा दी है। हाल ही में भोपाल में टेंडर खोला गया, जिसमें लुधियाना की कंपनी सीगल इन्फ्रा प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड ने सबसे कम बोली लगाकर प्रोजेक्ट अपने नाम कर लिया।
नए हाईवे के बनने के बाद इंदौर से उज्जैन पहुंचने में लगने वाला समय काफी कम हो जाएगा। अभी जहां यात्रा में एक घंटे से ज़्यादा लगता है, वहीं नए कॉरिडोर से यह दूरी करीब 30 मिनट में तय की जा सकेगी। हाईवे पर एटीएमएस सिस्टम और सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, जिससे पूरे मार्ग पर लगातार निगरानी रखी जा सकेगी। यह सुविधा विशेष रूप से सिंहस्थ, कुंभ और वीआईपी मूवमेंट के दौरान बेहद उपयोगी साबित होगी।
ट्रैफिक दबाव होगा कम
कॉरिडोर तैयार होने के बाद मौजूदा इंदौर-उज्जैन रोड पर भारी ट्रैफिक का दबाव काफी घटेगा। रोजाना सफर करने वाले यात्रियों को भीड़भाड़ से राहत मिलेगी और दोनों शहरों के बीच यात्रा का अनुभव पहले से अधिक तेज़ और सुविधाजनक हो जाएगा। यह एक्सेस कंट्रोल्ड फोरलेन हाईवे 48.10 किलोमीटर लंबा और 60 मीटर चौड़ा होगा। परियोजना पर कुल 2000 करोड़ रुपए खर्च होंगे, जिसमें से 1089 करोड़ रुपए निर्माण पर और बाकी राशि भूमि अधिग्रहण पर खर्च की जाएगी। यह प्रोजेक्ट हाइब्रिड एन्युटी मॉडल पर बनाया जाएगा। कागजी प्रक्रिया पूरी होने के बाद अगले साल निर्माण कार्य शुरू होने की उम्मीद है।
मार्ग और प्रवेश बिंदु
- पितृ पर्वत (इंदौर छोर)
- सिंहस्थ बायपास (उज्जैन छोर)
- इंदौर वेस्टर्न बायपास क्रॉसिंग
उज्जैन-बदनावर रोड क्रॉसिंग
हाईवे जंबूड़ी हप्सी, बुढ़ानिया, हातोद, सगवाल, कांकरिया बोर्डिया, जंबूर्डी सरवर, जिंदाखेड़ा, रतनखेड़ी, बीबीखेड़ी, पीपल्या कायस्था, हरियाखेड़ी समेत कई गांवों से होकर गुज़रेगा।
नए हाईवे पर टोल सिस्टम मौजूदा इंदौर-उज्जैन स्टेट हाईवे की तर्ज पर होगा। इंदौर से जाने वाली गाड़ियों को शुरुआती 5 किमी पर टोल देना होगा, जबकि उज्जैन तरफ से आने वालों के लिए उज्जैन छोर पर टोल लगाया जाएगा।
ज़मीन का अधिग्रहण
प्रोजेक्ट के लिए इंदौर और उज्जैन जिलों में 175 हेक्टेयर से अधिक भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। इंदौर जिले में करीब 650 किसानों की ज़मीन इसमें शामिल होगी। हातोद तहसील में 255 किसानों की 75.401 हेक्टेयर और सांवेर तहसील में 395 किसानों की लगभग 100 हेक्टेयर जमीन ली जाएगी।
