MP कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भाजपा की मोहन यादव सरकार पर शासन में भारी गिरावट और प्रशासनिक भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए तीखा हमला बोला है। भोपाल में जारी प्रेस बयान में उन्होंने कहा कि सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों, पारदर्शिता और जवाबदेही के हर पैमाने पर फेल हो चुकी है।
पटवारी ने दावा किया कि विधानसभा सत्र में विधायकों द्वारा पूछे गए कई प्रश्नों के गलत उत्तर दिए गए, और कुछ मामलों में प्रश्न ही बदल दिए गए। उनके मुताबिक, यह आचरण न केवल प्रक्रिया का उल्लंघन है बल्कि लोकतांत्रिक संस्थाओं की गरिमा को भी चोट पहुंचाता है।
दी खुली चुनौती
पटवारी ने सत्ता पक्ष के विधायकों को खुली चुनौती दी कि वे अपने जिले में एक भी काम बिना रिश्वत और बिना राजनीतिक दबाव के सिर्फ पात्रता के आधार पर करवाकर दिखाएं। उन्होंने कहा कि यदि कोई विधायक ऐसा ईमानदारी से कर दिखाता है, तो वे स्वयं उसका सार्वजनिक अभिनंदन करेंगे।
सरकार पर निशाना
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मध्यप्रदेश आज देश के सबसे कर्ज़दार, सबसे अधिक बेरोज़गारी वाले और NCRB के अनुसार बेटियों के खिलाफ अपराध में सबसे आगे रहने वाले राज्यों में शामिल हो गया है। उन्होंने “50% कमीशन” की संस्कृति का जिक्र करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार पूरे तंत्र में जड़ें जमा चुका है और किसी अधिकारी-कर्मचारी को कार्रवाई का डर नहीं रह गया।
नयागांव पुल ढहने का मामला
पटवारी ने हाल ही में रायसेन जिले में नयागांव पुल ढहने की घटना को सरकारी भ्रष्टाचार का ताज़ा उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि पुल के धंसने से दो बाइकें नीचे जा गिरीं और चार लोग घायल हो गए, जो घटिया निर्माण और कमीशनखोरी का नतीजा है।
पटवारी ने आरोप लगाया कि सरकार ने किसानों से किए वादे पूरे नहीं किए। उन्होंने कहा कि किसानों को लाभ का धंधा देने की बात कही गई थी, लेकिन आज स्थिति यह है कि कर्ज़ के बोझ तले दबे किसानों की आत्महत्याएं बढ़ रही हैं। उन्होंने दावा किया कि खाद की उपलब्धता, फसलों के उचित दाम और समर्थन मूल्य सब में गड़बड़ियां बढ़ी हैं।
नेशनल हेराल्ड केस पर बवाल
पटवारी ने केंद्र सरकार द्वारा नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर दर्ज एफआईआर को राजनीतिक प्रतिशोध बताया। उन्होंने कहा कि यह कदम विपक्ष के शीर्ष नेतृत्व को निशाना बनाकर लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करने का प्रयास है।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग, जांच एजेंसियों और स्वायत्त संस्थाओं में जनता का भरोसा लगातार कम होता जा रहा है। उनके अनुसार, देश ऐसी दिशा में जा रहा है जहां लोकतांत्रिक संरचना और संविधान दोनों गंभीर खतरे में दिखाई दे रहे हैं।
