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जबलपुर के 100 करोड़ राशन घोटाले पर हाईकोर्ट ने खत्म की सुनवाई, कहा- “FIR दर्ज होने से याचिका निष्प्रभावी”

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Published On: 3 December 2025

MP के जबलपुर में कोरोना महामारी के दौरान सामने आए 100 करोड़ रुपए के कथित राशन घोटाले पर बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने स्पष्ट कहा कि राज्य सरकार पहले ही संयुक्त जांच समिति की सिफारिश पर एफआईआर दर्ज कर चुकी है, ऐसे में कोर्ट अब आगे कोई निर्देश जारी नहीं कर सकता। अदालत ने इसी आधार पर जनहित याचिका का निराकरण कर दिया। जबलपुर निवासी एडवोकेट विनोद सिसोदिया ने याचिका में कहा था कि कोविड-19 के दौरान जब गरीबों को अतिरिक्त राहत मिलनी चाहिए थी, तब जिम्मेदार अधिकारियों ने सिस्टम में खाद्यान्न का आंकड़ा कम कर दिया।

इस गड़बड़ी के कारण हजारों लाभार्थियों को पूरा राशन नहीं मिला। याचिका में यह भी दावा किया गया कि अधिकारियों ने अपने व्यक्तिगत लॉगिन आईडी का दुरुपयोग कर गेहूं, चावल, नमक, शक्कर और केरोसिन जैसी बड़ी मात्रा में सामग्री खुले बाजार में बेच दी।

शिकायतों के बावजूद कार्रवाई नहीं

याचिकाकर्ता ने बताया कि मामले की शिकायत पहले स्थानीय स्तर पर की गई थी, पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। आरोप था कि खाद्यान्न में की गई हेराफेरी केवल एक जिले तक सीमित नहीं थी, बल्कि राज्य के 22 जिलों में ऐसे अनियमितता के संकेत मिले थे। इसके बाद मजबूरी में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता विवेक शर्मा ने बताया कि संयुक्त जांच समिति की रिपोर्ट आने के बाद सरकार ने 4 सितंबर को जिम्मेदार अधिकारियों पर प्राथमिकी दर्ज कर दी है। जांच में प्रथमदृष्टया यह पाया गया कि खाद्यान्न वितरण में हेराफेरी हुई थी और अधिकारियों ने नियमों का उल्लंघन किया था।

याचिका का निराकरण

हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता जिस कार्रवाई की मांग कर रहे थे, वह सरकार द्वारा पहले ही की जा चुकी है। इसलिए मामले पर आगे सुनवाई करना न्यायिक समय का दुरुपयोग होगा। हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि याचिकाकर्ता को लगता है कि कुछ जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है, तो वे नई याचिका दायर कर सकते हैं। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मनीष वर्मा ने कहा कि उनकी पहल पर ही सरकार को एफआईआर दर्ज करनी पड़ी। उनका दावा है कि यह घोटाला केवल जबलपुर तक सीमित नहीं है, बल्कि 22 जिलों में बड़े पैमाने पर अनियमितता हुई है। उन्होंने कहा कि यह करोड़ों रुपए का मामला है और आगे भी कानूनी कार्रवाई जारी रहेगी।

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