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बार-बार जनहित याचिका लगाने पर MP हाईकोर्ट सख्त, लगाया 1 लाख रुपये का दंड

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Published On: 5 December 2025

MP हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने एक बार फिर दायर की गई जनहित याचिका पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि अदालत को तमाशा समझ लिया गया है क्या, जो एक ही विषय पर लगातार याचिकाएं लगाई जा रही हैं। न्यायालय ने इस याचिका को जनहित के बजाय निजी उद्देश्य से प्रेरित बताया और इसे खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर 1 लाख रुपये का दंड लगाया। यह याचिका आदिवासी संगठन जयस के खरगोन जिला अध्यक्ष सचिन सिसोदिया ने दायर की थी।

जस्टिस विजय कुमार शुक्ला और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की डिवीजन बेंच ने कहा कि उपलब्ध तथ्यों से स्पष्ट है कि यह याचिका सार्वजनिक हित की नहीं बल्कि व्यक्तिगत रंजिश से प्रेरित लगती है। कोर्ट के मुताबिक, पहले भी इसी विषय पर कई याचिकाएं दायर हुईं, लेकिन बाद में उन्हें स्वयं ही वापस ले लिया गया, जिससे याचिकाओं की मंशा संदिग्ध प्रतीत होती है।

सरकार की कड़ी आपत्ति

सुनवाई में शासन की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल आनंद सोनी पेश हुए। उन्होंने बताया कि पहले कॉन्स्टेबल राहुल चौहान की ओर से दायर याचिका भी बाद में वापस ले ली गई थी और उसी वकील ने अब जयस पदाधिकारी के नाम से नई याचिका दायर कर दी। कोर्ट में उन सोशल मीडिया पोस्टों के स्क्रीनशॉट भी प्रस्तुत किए गए, जिनमें याचिकाकर्ता और उसके सहयोगियों द्वारा अराजक माहौल बनाने की कोशिश दिखती है। इन तथ्यों ने अदालत को आश्वस्त कर दिया कि यह मामला जनहित से कहीं अधिक व्यक्तिगत एजेंडे से जुड़ा है।

पुराने फैसलों का हवाला

डिवीजन बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के कई महत्वपूर्ण फैसलों बलवंत सिंह चौफाल, एस.पी. गुरु राजा, देवेंद्र प्रकाश मिश्रा और गुरपाल सिंह का उल्लेख करते हुए कहा कि जनहित याचिका लोकतंत्र का एक गंभीर उपकरण है, इसे बदले की भावना या किसी को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि जनहित याचिका तभी स्वीकार होगी जब उसमें वास्तविक सार्वजनिक हित और व्यापक जन-प्रभाव हो।

1 लाख रुपये दंड

कोर्ट ने कहा कि जनहित याचिका के नाम पर न्यायालय का समय बर्बाद करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इसी कारण अदालत ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये की कॉस्ट लगाई है, जिसे एक महीने के भीतर हाई कोर्ट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी, इंदौर में जमा कराना होगा। अदालत ने साफ कर दिया कि भविष्य में इस तरह का दुरुपयोग स्वीकार नहीं किया जाएगा।

मामला 23 अगस्त की रात खरगोन पुलिस लाइन में रिजर्व इंस्पेक्टर सौरभ सिंह कुशवाह और कांस्टेबल राहुल चौहान के बीच हुए एक सामान्य विवाद से जुड़ा है। इस घटना को जयस ने बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और कई दिनों तक प्रदर्शन, हाईवे जाम और एससी-एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई की मांग की। उसी विवाद को आधार बनाकर बार-बार याचिकाएं दायर की गईं, जिन्हें कोर्ट ने “व्यक्तिगत लड़ाई को जनहित का रूप देने की कोशिश” बताया।

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