MP में कृषि विकास को नई दिशा देने के लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण बैठक में अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जैसे महिलाओं के लिए ‘लखपति दीदी’ योजना ने व्यापक पहचान बनाई है, उसी तरह खेती से एक बीघा भूमि पर एक लाख रुपए तक की आय हासिल करने वाले कृषकों को भी सम्मानित किया जाएगा। सरकार का मानना है कि इससे गांव-गांव में खेती की गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धा दोनों बढ़ेंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की कमाई का बड़ा हिस्सा बिचौलियों के कारण प्रभावित होता है। उन्होंने विभाग को निर्देश दिया कि ऐसी व्यवस्था बनाई जाए, जिसमें किसान सीधे बाजार में अपनी उपज बेच सकें। उद्देश्य यह है कि फसल का असली मूल्य किसान के हाथ तक पहुंचे और लागत व कमाई के बीच का अंतर कम हो सके।
फसलों की गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर
बैठक में उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने के लिए ग्राम स्तर पर गहन गतिविधियों की जरूरत पर चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि नर्सरी को आदर्श स्वरूप दिया जाए और उन्नत कृषि तकनीकों को अधिक से अधिक खेतों तक पहुंचाया जाए। उन्होंने नरवाई (पराली) प्रबंधन के लिए तीन वर्ष की कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश भी दिए, ताकि खेतों में आग लगने और प्रदूषण की घटनाओं को नियंत्रित किया जा सके।
उर्वरकों की उपलब्धता पर विशेष ध्यान
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में उर्वरक वितरण के तहत 2024-25 में बड़े पैमाने पर यूरिया, डीएपी और एनपीके वितरित किए गए थे। इस वर्ष भी वितरण की प्रक्रिया तेज है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आधुनिक तकनीक के उपयोग से उर्वरकों की उपलब्धता आसान और पारदर्शी होनी चाहिए। इसी उद्देश्य से ई-विकास पोर्टल की पायलट परियोजना विदिशा, शाजापुर और जबलपुर में चलाई जा रही है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा
अधिकारियों ने जानकारी दी कि फसल बीमा योजना के तहत लाखों किसानों को मुआवजा दिया गया है। मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत भी बीते तीन वर्षों में हजारों करोड़ रुपए किसानों के खातों में भेजे गए। सरकार का दावा है कि यह सहायता किसानों को समय पर राहत और जोखिम प्रबंधन में मदद करती है। प्रदेश की सभी 259 मंडियों में ई-मंडी प्रणाली लागू कर दी गई है, जिसके लिए राज्य को स्कॉच गोल्ड अवॉर्ड मिला है। इसके अलावा एमपी फार्म गेट ऐप के जरिए किसान अब अपने ही खेत या घर से उपज बेच सकते हैं। इस पहल को स्कॉच सिल्वर अवॉर्ड मिला है और इसे प्रदेश में कृषि व्यापार के बड़े बदलाव की शुरुआत माना जा रहा है।
अगले 3 वर्षों की कार्ययोजना
बैठक में यह भी तय किया गया कि सभी नगरपालिकाओं और नगर पंचायतों में साप्ताहिक जैविक/प्राकृतिक हाट बाजार लगाए जाएंगे। दबाव सिंचाई प्रणाली को व्यापक बनाने, पराली जलाने की घटनाओं में 80% तक कमी लाने और तिलहन-दलहन उत्पादन बढ़ाने जैसे लक्ष्य भी तय किए गए हैं।
