गाजा पट्टी में शुक्रवार से इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम प्रभावी हो गया है। इस घोषणा के साथ ही वहां महीनों से चल रही हिंसा और तबाही के बीच लोगों ने राहत की सांस ली है। जैसे ही युद्धविराम लागू हुआ, हजारों फिलिस्तीनी अपने उजड़े घरों की ओर लौटने लगे, जबकि इजरायली सैनिक सीमावर्ती इलाकों से वापस लौट रहे हैं। इजरायल की सेना ने पुष्टि की है कि उनके दस्ते “सहमति वाली तैनाती रेखाओं” की ओर लौट चुके हैं।
युद्धविराम की घोषणा से कुछ घंटे पहले तक उत्तरी गाजा में भारी गोलाबारी की खबरें आ रही थीं, लेकिन अब मोर्चे पर सन्नाटा छा गया है।
नेतन्याहू कैबिनेट ने दी मंजूरी
इस बीच एक बड़ा राजनीतिक मोड़ भी सामने आया। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने बताया कि देश की सुरक्षा कैबिनेट ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता वाली शांति योजना को मंजूरी दे दी है।
यह योजना न केवल युद्धविराम बल्कि बंधकों और फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई से भी जुड़ी है।
हालांकि, कैबिनेट के बयान में यह साफ नहीं किया गया कि समझौते के विवादित पहलुओं जैसे गाजा का भविष्य शासन और हमास का निरस्त्रीकरण पर सहमति बनी या नहीं।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह फैसला दो साल से जारी खूनी संघर्ष को विराम देने की दिशा में सबसे ठोस कदम माना जा रहा है, मगर इसका स्थायित्व कई सवालों पर निर्भर करेगा।
अभी भी धुंध में है कई अहम सवाल
युद्धविराम लागू जरूर हो गया है, लेकिन इसके बाद की स्थिति को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि गाजा का प्रशासन कौन संभालेगा और क्या हमास अपने हथियार सौंपेगा या नहीं। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भी इस समझौते को लेकर सतर्क है क्योंकि यह क्षेत्र लंबे समय से भरोसे और नियंत्रण की जटिल राजनीति में उलझा रहा है।
रेड क्रॉस ने जताई चिंता
अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस समिति (ICRC) ने बयान जारी कर कहा है कि इस बार बंधकों और कैदियों की रिहाई की प्रक्रिया “बेहद चुनौतीपूर्ण और जटिल” होगी। आईसीआरसी के प्रवक्ता क्रिश्चियन कार्डन ने कहा कि फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि रिहाई कब और किस स्थान पर होगी। उन्होंने कहा कि संस्था दोनों पक्षों के साथ मानवीय दृष्टिकोण से समन्वय बनाए हुए है, लेकिन “ऑपरेशन का पैमाना और स्थिति की संवेदनशीलता इसे बेहद कठिन बनाती है।”