हर साल 5 अक्टूबर को पूरी दुनिया में विश्व शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन शिक्षकों के योगदान को मान्यता देने के साथ-साथ उनके सामने आने वाली चुनौतियों और शिक्षा में सुधार लाने के उपायों पर चर्चा करने का अवसर देता है। विश्व शिक्षक दिवस पहली बार 1994 में मनाया गया। इसकी नींव 1966 में रखी गई थी, जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षकों के अधिकार, जिम्मेदारियां, प्रशिक्षण और काम की परिस्थितियों के लिए मानक तय किए गए थे। बाद में 1997 में उच्च शिक्षा से जुड़े शिक्षकों को भी इस दिन के जश्न में शामिल किया गया।
2025 की थीम
इस साल की थीम है, “शिक्षण को सहयोगी पेशे के रूप में पुनर्परिभाषित करना”। आज भी कई शिक्षक सीमित संसाधनों और अकेलेपन के बीच काम करते हैं। उन्हें न तो पर्याप्त मार्गदर्शन मिलता है और न ही सहकर्मियों के साथ अनुभव और ज्ञान साझा करने का अवसर।
विश्व शिक्षक दिवस 2025 का संदेश है कि शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए शिक्षक को अकेले काम करने वाले नहीं, बल्कि सहयोग और साझेदारी पर आधारित पेशे के रूप में देखना चाहिए। जब शिक्षक मिलकर विचार साझा करेंगे, एक-दूसरे की मदद करेंगे और जिम्मेदारियों को बांटेंगे, तभी शिक्षा अधिक प्रभावी और प्रेरक बन सकेगी।
शिक्षक का महत्व
शिक्षक केवल किताबों का ज्ञान नहीं देते, बल्कि समाज में समानता, नवाचार और परिवर्तन के बीज भी बोते हैं। वे बच्चों को सपने देखने और उन्हें पूरा करने का साहस सिखाते हैं। अगर शिक्षक पर्याप्त सम्मान, सहयोग और अवसर न पाएं तो शिक्षा की पूरी व्यवस्था कमजोर हो सकती है।
वैश्विक स्तर पर आयोजन
इस साल विश्व शिक्षक दिवस की सबसे बड़ी सभा इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा में आयोजित हो रही है। अफ्रीकी संघ और अंतरराष्ट्रीय संगठनों जैसे यूनेस्को, यूनिसेफ, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और एजुकेशन इंटरनेशनल के प्रतिनिधि इस पर चर्चा करेंगे कि कैसे शिक्षकों को अकेलेपन से निकालकर सामूहिक शक्ति का हिस्सा बनाया जा सके।
दुनिया भर में अन्य देशों में भी शिक्षक दिवस पर सेमिनार, कार्यशालाएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि शिक्षा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए शिक्षक और सहयोग, दोनों का साथ होना जरूरी है।