गुरु पूर्णिमा पर रहेगा भद्रा का साया; जानिए तिथि, महत्व, पूजा विधि और भद्राकाल का समय

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Published On: 10 July 2025

ज्योतिष | इस वर्ष गुरु पूर्णिमा का पर्व 10 जुलाई गुरुवार को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में यह पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है, पंचांग के अनुसार हर वर्ष गुरु पूर्णिमा का त्योहार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।क्योंकि यह दिन गुरु और ज्ञान के प्रति आभार प्रकट करने का प्रतीक होता है। गुरु पूर्णिमा को हर वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को बड़े ही उल्लास और भक्ति भाव से मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, यह दिन अध्यात्म, ज्ञान और गुरु भक्ति का प्रतीक माना जाता है। इस पर्व को व्यास पूर्णिमा, आषाढ़ पूर्णिमा और वेद व्यास जयंती के नाम से भी जाना जाता है।

गुरु पूर्णिमा का पर्व आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन गुरु की पूजा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। यह पर्व महर्षि वेदव्यास के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है।

गुरु पूर्णिमा की तिथि 

गुरु पूर्णिमा तिथि का आरंभ 09 जुलाई 2025 को रात 08:21 बजे से शुरू होगा, 10 जुलाई 2025 को रात 10:11 बजे पूर्णिमा तिथि का समापन होगा इस दिन शास्त्रों के अनुसार देवताओं, ऋषि-मुनियों और अपने गुरुजनों की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। लोग अपने माता-पिता, शिक्षक और जीवन के मार्गदर्शकों को श्रद्धा भाव से प्रणाम कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, क्योंकि भारतीय संस्कृति में गुरु को ईश्वर के समान दर्जा प्राप्त है।

गुरु पूर्णिमा का महत्व

हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। यह पर्व आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जो सावन माह के प्रारंभ से ठीक पहले आती है। यह दिन विशेष रूप से गुरुओं को समर्पित होता है, जो हमारे जीवन को दिशा, ज्ञान और संस्कार प्रदान करते हैं।

शास्त्रों के अनुसार, इसी पावन तिथि पर महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। वेदव्यासजी को ही प्रथम गुरु माना जाता है। उन्होंने चारों वेदों का संकलन और महाभारत जैसे महान ग्रंथ की रचना की थी। इसलिए, गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और गुरु वेदव्यास की पूजा की जाती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गुरु की पूजा और सम्मान करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है, और व्यक्ति को ज्ञान, विवेक और सफलता प्राप्त होती है।

गुरु पूर्णिमा पर भद्रा का साया

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, 10 जुलाई 2025 को गुरु पूर्णिमा पर भद्रा का साया रहेगा, इसलिए इस दिन पूजा-पाठ, स्नान-दान और गुरु पूजन के शुभ समय का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। भद्रा काल एक (अशुभ समय) काल होता है, जिसमे कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है।

भद्रा काल का आरंभ10 जुलाई को सुबह 10:36 बजे होगा, जिसका समापन रात 08:18 बजे होगा। भद्रा काल के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य, पूजन या गुरु पूजन करना अशुभ माना जाता है। इस काल में विशेष रूप से यज्ञ, हवन, दीक्षा या गुरुदेव का चरण स्पर्श करना वर्जित होता है।

गुरु पूर्णिमा पूजा-विधि

  • इस दिन प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
  • पवित्र नदी में स्नान करें या घर पर गंगाजल मिलाकर जल से स्नान करें।
  • स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजन स्थल को साफ करके रंगोली या अल्पना से सजाएं।
  • घी का दीपक मंदिर या पूजन स्थल पर प्रज्वलित करें।
  • घर के मंदिर या साफ स्थान पर गुरु की फोटो/चित्र/पादुका स्थापित करें।
  • यदि कोई जीवित गुरु हैं तो उनके चरणों में फूल, वस्त्र, दक्षिणा अर्पित करें।
  • वेदव्यास जी की पूजा इस मंत्र से करें, “व्यासाय विष्णु-रूपाय व्यास-रूपाय विष्णवे। नमो वै ब्रह्म-निधये वासिष्ठाय नमो नमः॥”
  • घर में पूजन सामग्री में फूल, अक्षत (चावल), रोली/कुमकुम, दीपक, धूप, नैवेद्य (मिठाई), जल कलश, पाद्य, अर्घ्य आदि एकत्रित करे, सबसे पहले दीप प्रज्वलित करें।
  • गणेश जी का पूजन करें। उन्हें चंदन, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें।
  • गुरु मंत्र या गायत्री मंत्र का जाप करें।
    “गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरः।
    गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥”

डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. MPNews इनकी पुष्टि नहीं करता है.

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